आज, 6 नवंबर 2025 को भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रदेशीय व राष्ट्रीय नेतृत्व ने घोषणा की है कि इस गीत-वर्षगाँठ के अवसर पर 7 नवंबर से देशभर में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इनमें शैक्षिक संस्थानों में पूर्ण गीत-गायन, प्रदर्शनी, साहित्य-वक्तृत्व, चित्र-कला, और सार्वजनिक सामूहिक आंदोलन शामिल हैं।उपरोक्त घोषणाओं में यह बात प्रमुख रूप से सामने आई कि इस गीत को सिर्फ अतित की स्मृति में न रखते हुए आज के संदर्भ में “भारत की आत्मा की आवाज” माना जा रहा है। उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी ने बताया कि “‘वन्दे मातरम्’ हमें यह याद दिलाती है कि हमारा देश सिर्फ सीमाओं और राजनीतिक विभाजनों से नहीं बल्कि भाव-समूह, समर्पण और साझा-संस्कृति से बना है।” राज्य-स्तर पर कार्य-योजना भी सामने आई है। उदाहरण स्वरूप, गुजरात सरकार ने घोषणा की है कि 7 नवंबर को विधान सभा परिसर में विशेष कार्यक्रम होगा, जहाँ इस गीत की मूल (पूर्ण) संस्करण में सामूहिक गायन किया जाएगा और सभी विद्यालय-कॉलेजों में “स्वदेशी” प्रतिज्ञा-सभा आयोजित की जाएगी। मध्य प्रदेश में भी इसी तरह जिला-प्रमुख संस्थानों में “150 स्थान, 150 व्यक्तियों द्वारा वाचन” जैसी योजनाएँ शुरू की गई हैं। शिक्षा-माध्यम में यह बदलाव खास-कर झलक रहा है। महाराष्ट्र सरकार ने आदेश जारी किया है कि 31 अक्टूबर से 7 नवंबर तक अपने राज्य के सभी स्कूलों में पूर्ण ‘वन्दे मातरम्’ गीत प्रतिदिन गाया जाए तथा इसके इतिहास की प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाए। यह पहल युवाओं में राष्ट्र-भावना को नए तरीके से जागृत करने के प्रयास के रूप में देखी जा रही है।विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह के अभियान-उपक्रम का उद्देश्य सिर्फ दिवस-उत्सव नहीं है बल्कि आज के समय में शिक्षा-और-संस्कृति के माध्यम से “राष्ट्र-समूह” के भीतर एकजुटता और समावेशिता को बढ़ावा देना है। इस दिशा में यह संदेश भी मजबूत है कि देश-का-गीत, जिसे स्वतंत्रता आंदोलन में प्रेरणा-स्रोत माना जाता था, उसे आजनए सन्दर्भों में सक्रिय नागरिक-संस्कृति का भाग बनाया जा रहा है।






