नई दिल्ली : भारत में मधुमेह के बढ़ते रोगियों के कारण इसे डायबिटीज कैपिटल भी कहा जाता है।
भारतीय शहरों में, लगभग 10 से 12% वयस्क आबादी मधुमेह से पीड़ित हैं।
देश में बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी हैं जिन्हें डायबिटीज तो है पर वे इससे अनजान हैं।
डायबिटीज एक वैश्विक स्तर पर बढ़ती स्वास्थ्य समस्या है जिसका खतरा कम उम्र के लोगों में भी देखा जा रहा है। एक डेटा के अनुसार साल 2021 में 20-79 वर्ष के 537 मिलियन वयस्क मधुमेह से पीड़ित थे, यानी कि हर 10 में एक व्यक्ति को ये बीमारी थी। समय के साथ ये समस्या और भी बढ़ती जा रही है, जिसको लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सभी लोगों को सावधान रहने की सलाह दी है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि डायबिटीज रोगियों की संख्या 2030 तक 643 मिलियन और 2045 तक 783 मिलियन तक हो सकती है।
लाइफस्टाइल और आहार की गड़बड़ी को टाइप-2 डायबिटीज का प्रमुख कारण माना जाता है। डॉक्टर कहते हैं, सभी लोगों को इसमें सुधार पर ध्यान देना चाहिए। जिन लोगों के परिवार में पहले से किसी को डायबिटीज की समस्या रही है उन्हें और भी सतर्कता बरतते रहना जरूरी है।
वैश्विक स्तर पर बढ़ती इस गंभीर और क्रोनिक बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक करने, इससे बचाव को लेकर लोगों को शिक्षित करने के उद्देश्य से हर साल 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है।
विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि देश में बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी हैं जिन्हें डायबिटीज तो है पर वे इससे अनजान हैं। इस तरह की स्थिति गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है।
आधे से अधिक लोग बीमारी से अनजान
भारत में डायबिटीज के जोखिमों को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक रिपोर्ट में बताया कि देश में 50% से ज्यादा लोगों को अपनी मधुमेह की स्थिति के बारे में पता ही नहीं है। अगर समय रहते इसका निदान न किया जाए और इलाज न हो पाए तो स्वास्थ्य संबंधी कई गंभीर जटिलताएं विकसित हो सकती हैं।
डायबिटीज में शुगर का लेवल सामान्य से अधिक बना रहता है, अगर इसे कंट्रोल करने के लिए दवा या उपचार न लिए जाएं तो समय के साथ आंखें, किडनी खराब होने और तंत्रिकाओं से संबंधित समस्या होने का खतरा हो सकता है।
डायबिटीज की गंभीर स्थिति
भारत में अनुमान है कि 18 वर्ष से अधिक आयु के 77 मिलियन लोग टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित हैं और लगभग 25 मिलियन प्रीडायबिटिक हैं, जिनमें निकट भविष्य में मधुमेह विकसित होने का उच्च जोखिम हो सकता है। 50% से अधिक लोगों को पता ही नहीं है कि उन्हें डायबिटीज है, जोकि एक गंभीर चिंता का विषय है।
मधुमेह के शिकार लोगों में दिल के दौरे और स्ट्रोक का जोखिम दो से तीन गुना अधिक देखा जाता। डायबिटीज की गंभीर स्थिति में पैरों में रक्त प्रवाह में कमी आ जाती है। इसके अलावा न्यूरोपैथी (तंत्रिका क्षति) के कारण पैरों में अल्सर, संक्रमण और अंततः कुछ लोगों में पैरों को काटने की भी नौबत हो सकती है।
कैसे जानें कहीं आपको भी तो नहीं है डायबिटीज?
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, कुछ लक्षणों के माध्यम से जाना जा सकता है कि कहीं आपको ये बीमारी तो नहीं हैं? जिनके माता-पिता में से किसी को मधुमेह की दिक्कत रही हो उन्हें विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। डायबिटीज में शुगर का लेवल बढ़े रहने के कारण कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
मधुमेह से पीड़ित लोगों को बार-बार पेशाब आने की समस्या होती है। आपको अधिक प्यास लग सकती है, बिना किसी कारण के वजन घटना, अक्सर थका हुआ या कमजोर महसूस करना, हाथ या पैर में सुन्नपन या झुनझुनी होना, घावों को ठीक होने में अधिक समय लगना या समय के साथ नजरों का कमजोर होना संकेत हो सकता है कि आप डायबिटीज से पीड़ित हैं।
डायबिटीज कैपिटल भारत
भारत में मधुमेह के बढ़ते रोगियों के कारण इसे डायबिटीज कैपिटल भी कहा जाता है। भारतीय शहरों में, लगभग 10 से 12% वयस्क आबादी मधुमेह से पीड़ित हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं ये बीमारी स्वास्थ्य क्षेत्र पर दबाव बढ़ाती जा रही है साथ ही कई अन्य बीमारियों का कारण भी बनती है, इसलिए इससे बचे रहने के लिए निरंतर प्रयास करते रहना जरूरी है।