• Full-Width Page
  • Home
  • Home
  • Home 2
  • Home 3
  • Home 4
  • Home 5
  • Home 6
  • Latest News
  • Meet The Team
  • Typography
nbtv24
No Result
View All Result
No Result
View All Result
nbtv24
No Result
View All Result
Home आज

महर्षि वाल्मीकि जी के नाम पर ही क्यों रखा गया अयोध्या एयरपोर्ट का नाम….

NBTV24 by NBTV24
January 12, 2024
in आज, मध्यप्रदेश
0
0
SHARES
0
VIEWS
Whats AppShare on FacebookShare on Twitter

आयोध्या:- हाल ही में अयोध्या में सबसे पहली फ्लाइट जोकि दिल्ली से अयोध्या महर्षि वाल्मिकी एयरपोर्ट तक शुरु की गई. इस एयरपोर्ट से कई लोगों के लिए सुविधा बढ़ जायेगी. अगर आप एयरपोर्ट बनने के पहले आना होता तो या तो अपको लखनऊ या प्रयागराज एयरपोर्ट उतरना पड़ता और फिर एयरपोर्ट से 2-3 घंटे का सफर और हो जाता. लेकीन अब विमान अपको सीधा अयोध्या उतारेगा. कई लोगों का कहना हैं कि अयोध्या एयरपोर्ट का नाम महर्षि वाल्मिकि के नाम पर ही क्यों रखा गया.

देखिए भारत वर्ष में रामचरितमानस के बाद सबसे ज्यादा वाल्मीकी जी की ही रामायण पढ़ी जाती है. कई लेखकों के अनुसार, वाल्मीकि जी हमारे आदि–कवि माने गए हैं, क्योंकि उन्होंने रामायण कविता के रुप में ही लिखी है. कई लोग सिर्फ और सिर्फ महर्षि वाल्मिकि की रामायण को ही रामायण मानते हैं. वाल्मिकि रामायण बाल कांड अध्याय 3 के अनुसार, लोकपिता ब्राह्म जी वाल्मिकि जी को रामायण लिखने का आशीर्वाद देते हैं और कहते हैं बुद्धिमान श्रीराम का जो गुप्त या प्रकट वृतांत है तथा लक्ष्मण, सीता और राक्षसों के जो सम्पूर्ण गुप्त या प्रकट चरित्र है वे सब अज्ञात होने पर भी तुम्हे ज्ञात हो जाएंगे.”

वाल्मिकि जी अपनी रामायण में कहते हैं: –

यावत् स्थास्यन्ति गिरयस् सरितश्च महीतले। तावद्रामायण कथा लोकेषु प्रचरिष्यति। बालकांड 2.36

यानी,जब तक इस भूतल पर पहाड़ और नदियां मौजूद हैं, रामायण की कथा लोगों के बीच बनी रहेगी.

कैसे हुआ वाल्मिकि जी जन्म
स्कंद पुराण आवन्त्यखण्ड, अवन्तीक्षेत्र-माहात्म्य, अध्याय 6 के अनुसार, प्राचीन काल में सुमति नामक एक भृगु वंशी ब्राह्मण थे. उनकी पत्नी कौशिक वंश की कन्या थीं. सुमति के एक पुत्र हुआ, जिसका नाम अग्निशर्मा बाद में महर्षि वाल्मीकि के नाम से प्रसिद्ध हुए रखा गया. वह पिता के बार-बार कहने पर भी वेदाभ्यास में मन नहीं लगाता था. एक बार उसके देश में बहुत दिनों तक वर्षा नहीं हुई. उस समय बहुत लोग दक्षिण दिशा में चले गये. विप्रवर सुमति भी अपने पुत्र और स्त्री के साथ विदिशा के वन में चले गये और वहां आश्रम बनाकर रहने लगे.

वहां अग्निशर्मा का लुटेरों से साथ हो गया, अतः जो भी उस मार्ग से आता उसे वह पापात्मा मारता और लूट लेता था. उसको अपने ब्राह्मणत्व की स्मृति नहीं रही. वेद का अध्ययन जाता रहा, गोत्र का ध्यान चला गया और वेद शास्त्रों की सुधि भी जाती रही. किसी समय तीर्थ यात्रा के प्रसंग से उत्तम व्रत का पालन करने वाले सप्तर्षि उस मार्ग पर आ निकले. अग्निशर्मा ने उन्हें देखकर मारने की इच्छा से कहा-‘ये सब वस्त्र उतार दो, छाता और जूता भी रख दो.’ उसकी यह बात सुनकर अत्रि बोले- ‘तुम्हारे हृदय में हमें पीड़ा देने का विचार कैसे उत्पन्न हो रहा है? हम तपस्वी हैं और तीर्थ यात्रा के लिये जा रहे हैं.

अग्निशर्मा ने कहा- मेरे माता-पिता, पुत्र और पत्नी हैं. उन सबका पालन-पोषण मैं ही करता हूं. इस लिये मेरे हृदय में यह विचार प्रकट हुआ है. अत्रि बोले-तुम अपने पिता से जाकर पूछो तो सही कि मैं आप लोगों के लिये पाप करता हूं, यह पाप किसको लगेगा. यदि वे यह पाप करने की आज्ञा न दें, तब तुम व्यर्थ प्राणियों का वध न करो.

अग्निशर्मा बोला- अबतक तो कभी मैंने उन लोगों से ऐसी बात नहीं पूछी थी. आज आप लोगों के कहने से मेरी समझ में यह बात आयी है. अब मैं उन सबसे जाकर पूछता हूं. देखूं किसका कैसा भाव है? जबतक मैं लौटकर नहीं आता, तब तक आप लोग यहीं रहें.

ऐसा कहकर अग्निशर्मा तुरंत अपने पिता के पास गया और बोला- ‘पिताजी! धर्म का नाश करने और जीवों को पीड़ा देने से बड़ा भारी पाप देखा जाता है और मुझे जीविका के लिये यही सब पाप करना पड़ता है. बताइये, यह पाप किसको लगेगा?’ पिता और माता ने उत्तर दिया- ‘तुम्हारे पाप से हम दोनों का कोई संबंध नहीं है. तुम करते हो, अतः तुम जानो. जो कुछ तुमने किया है, उसे फिर तुम्हें ही भोगना पड़ेगा.’ उनका यह वचन सुनकर अग्निशर्मा ने अपनी पत्नी से भी पूर्वोक्त बात पूछी. पत्नी ने भी यही उत्तर दिया- ‘पाप से मेरा संबंध नहीं है, सब पाप तुम्हें ही लगेगा.’ फिर उसने अपने पुत्र से पूछा. पुत्र बोला- ‘मैं तो अभी बालक हूं मेरा आपके पाप से क्या संबंध ?.’

उनकी बातचीत और व्यवहार को ठीक-ठीक समझकर अग्निशर्मा मन-ही-मन बोला- ‘हाय! मैं तो नष्ट हो गया. अब वे तपस्वी महात्मा ही मुझे शरण देने वाले हैं.’ फिर तो उसने उस डंडे को दूर फेंक दिया, जिससे कितने ही प्राणियों का वध किया था और सिर के बाल बिखराये हुए वह तपस्वी महात्माओं के आगे जाकर खड़ा हुआ. वहां उनके चरणों में दण्डवत्-प्रणाम करके बोला- ‘तपोधनो! मेरे माता, पिता, पत्नी और पुत्र कोई नहीं हैं. सबने मुझे त्याग दिया है, अतः मैं आप लोगों की शरण में आया हूं. अब उत्तम उपदेश देकर आप नरक से मेरा उद्धार करें.’ उसके इस प्रकार कहने पर ऋषियों ने अत्रिजी से कहा- मुने! आपके कथन से ही इसको बोध प्राप्त हुआ है, अतः आप ही इसे अनुगृहीत करें. यह आपका शिष्य हो जाय. ‘तथास्तु’ कहकर अत्रिजी अग्निशर्मा से बोले- ‘तुम इस वृक्ष के नीचे बैठकर इस प्रकार ध्यान करो. इस ध्यान योग से और महामन्त्र (रामनाम) के जपसे तुम्हें परम सिद्धि प्राप्त होगी.’ ऐसा कहकर वे सब ऋषि यथेष्ट स्थान को चले गये.

अग्निशर्मा तेरह वर्षों तक मुनि के बताए अनुसार ध्यान योग में संलग्न रहा. वह अविचल भाव से बैठा रहा और उसके ऊपर बांबी जम गयी. तेरह वर्षों के बाद जब वे सप्तर्षि पुनः उसी मार्ग से लौटे, तब उन्हें वल्मीक में से उच्चारित होनेवाली ’राम’ नाम की ध्वनि सुनाई पड़ी. इससे उनको बड़ा विस्मय हुआ. उन्होंने काठ की कीलों से वह बांबी खोदकर अग्निशर्मा को देखा और उसे उठाया. उठकर उसने उन सभी श्रेष्ठ मुनियों को, जो तपस्या के तेज से उद्भासित हो रहे थे, प्रणाम किया और इस प्रकार कहा- ‘मुनिवरों! आपके ही प्रसाद से आज मैंने शुभ ज्ञान प्राप्त किया है. मैं पाप-पंक में डूब रहा था, आपने मुझ दीन का उद्धार कर दिया है.’

उसकी यह बात सुनकर परम धर्मात्मा सप्तर्षि बोले- वत्स! तुम एकचित्त होकर दीर्घकाल तक ’वल्मीक’ बांबी में बैठे रहे हो, अतः इस पृथ्वीपर तुम्हारा नाम ‘वाल्मीकि’ होगा (इससे स्पष्ट होता हैं की वाल्मिकि जी कर्म अथवा जन्म सिद्धांत से ब्राह्मण ही थे यों कहकर वे तपस्वी मुनि अपनी गन्तव्य दिशा की ओर चल दिये. उनके चले जाने पर तपस्वीजनों में श्रेष्ठ वाल्मीकि ने कुशस्थली में आकर महादेवजी की आराधना की और उनसे कवित्वशक्ति पाकर एक मनोरम काव्य की रचना की, जिसे ‘रामायण’ कहते हैं और जो कथा-साहित्य में सबसे प्रथम माना गया है.

Tags: Hindi newsIndiaToday latest newsToday news
Previous Post

बेडरूम में रखी इन चीजों की वजह से पति-पत्नी के बीच आती हैं दूरियां…..

Next Post

ज्यादा नमक खाने से शरीर को घेर लेती हैं ये बीमारियां, जानें बचने का तरीका….

Next Post

ज्यादा नमक खाने से शरीर को घेर लेती हैं ये बीमारियां, जानें बचने का तरीका….

Recent News

छत्तीसगढ़ में कानून-व्यवस्था को नई मजबूती मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देश पर सख्त कदम जन सुरक्षा और महिला सुरक्षा पर विशेष ध्यान

छत्तीसगढ़ में कानून-व्यवस्था को नई मजबूती मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देश पर सख्त कदम जन सुरक्षा और महिला सुरक्षा पर विशेष ध्यान

December 14, 2025
छत्तीसगढ़ में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा, स्व-सहायता समूहों के लिए नई सहायता योजना

छत्तीसगढ़ में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा, स्व-सहायता समूहों के लिए नई सहायता योजना

December 14, 2025
ग्रामीण कनेक्टिविटी पर सरकार का जोर, सड़क और पुल निर्माण कार्य तेज

ग्रामीण कनेक्टिविटी पर सरकार का जोर, सड़क और पुल निर्माण कार्य तेज

December 14, 2025
ग्रामीण से शहरी तक शिक्षा में बदलावछत्तीसगढ़ सरकार की डिजिटल पहलछात्रों को मिलेगा समान और आधुनिक सीखने का अवसर

ग्रामीण से शहरी तक शिक्षा में बदलावछत्तीसगढ़ सरकार की डिजिटल पहलछात्रों को मिलेगा समान और आधुनिक सीखने का अवसर

December 14, 2025

nbtv24.com is a News and Blogging Platform. Here we will provide you with only interesting content, and Valuable Information which you will like very much.

Browse by Category

  • NCR
  • Review
  • अपराध
  • आज
  • इन्दौर
  • उज्जैन
  • एजुकेशन
  • ओरछा
  • खेल
  • ग्वालियर
  • चंद्रयान
  • छत्तीसगढ़
  • जबलपुर
  • टेक्नोलॉजी
  • दुनिया
  • धर्म
  • फैशन
  • फोटो
  • बिजनेस
  • बिज्ञान
  • बिहार
  • बॉलीवुड
  • भोपाल
  • मध्य प्रदेश चुनाव
  • मध्यप्रदेश
  • मनोरंजन
  • राजनीति
  • लाइफस्टाइल
  • विदेश
  • वीडियो
  • साँची
  • सामान्य

Recent News

छत्तीसगढ़ में कानून-व्यवस्था को नई मजबूती मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देश पर सख्त कदम जन सुरक्षा और महिला सुरक्षा पर विशेष ध्यान

छत्तीसगढ़ में कानून-व्यवस्था को नई मजबूती मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देश पर सख्त कदम जन सुरक्षा और महिला सुरक्षा पर विशेष ध्यान

December 14, 2025
छत्तीसगढ़ में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा, स्व-सहायता समूहों के लिए नई सहायता योजना

छत्तीसगढ़ में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा, स्व-सहायता समूहों के लिए नई सहायता योजना

December 14, 2025
  • मनोरंजन
  • फैशन
  • खेल
  • बिजनेस

© 2025 nbtv24.com

No Result
View All Result
  • Full-Width Page
  • Home
  • Home
  • Home 2
  • Home 3
  • Home 4
  • Home 5
  • Home 6
  • Latest News
  • Meet The Team
  • Typography

© 2025 nbtv24.com