*मध्यप्रदेश:-* सरयू नदी भगवान राम के जन्म, उनके बचपन, वनवास और फिर उनकी अयोध्या वापसी तक की साक्षी है. सदियों से बहती इस नदीं ने भगवान राम के पूरे जीवन को देखा है और तब से अब तक ये बह रही है. इसे सरजू नदी के नाम से भी जाना जाता है.भौगोलिक दृष्टि से देखा जाए तो सरयू नदी में शारदा नदी को शारदा नदी की सहायक माना जा सकता है.जो उत्तराखंड में शारदा नदी से अलग होकर उत्तर प्रदेश में अपना प्रवाह जारी रखती है.मुख्य रूप से सरयू हिमालय की तलहटी से निकलती है और आगे बढ़कर शारदा नदी की सहायक नदी बन जाती है. जिसके बाद उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों से होकर गुजरते हुए ये नदीं 350 किलोमीटर आगे तक बहती हैसरयू नदी हिंदू धार्मिक ग्रंथों में इतनी पवित्र मानी जाती है कि यह मानव जाति की अशुद्धियों को धो देती है. अयोध्या में त्रेता युग में भगवान श्री राम का जन्म स्थान और राज्य की राजधानी अयोध्या सरयू नदी के तट पर स्थित है, इस प्रकार यह भारत में अत्यधिक महत्वपूर्ण नदियों में से एक है.ये नदी हिमालय से निकलती हुई उत्तराखंड से होकर उत्तर प्रदेश में बहती है. इस प्रकार ये उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश में बहती है. वहीं ये नेपाल की सीमा पर स्थित चम्पावत जिले में पंचेश्वर में काली नदी शारदा नदी में विलय हो जाती है. जिसे आप इसका आखिरी पॉइंट भी समझ सकते हैं.सदियों से लोग सरयू में हर त्यौहार पर स्नान करने आते हैं. उन्हें अनुसार ऐसा करने से उनके तमाम पाप धुल जाते हैं।