नई दिल्ली : बरेली के नाथ मंदिर –
बरेली के ऐतिहासिक नाथ मंदिर पौराणिक इतिहास और सांस्कृतिक विरासत को संजोए हैं। लोक आस्था का केंद्र ये शिवालय शहर को नाथ नगरी की पहचान दे रहे हैं। कहा जाता है कि आक्रांताओं से शहर को सुरक्षित रखने के लिए इन नाथ मंदिरों की स्थापना हुई थी। मान्यता है कि यहां पहुंचने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। सातों नाथ मंदिरों की स्थापना के पीछे भी कई रोचक पहलू हैं। आइए, महाशिवरात्रि के मौके पर हम इन सातों नाथ के दर्शन करें और उनके महात्म्य को जानें।
अलखनाथ : लगातार जल चढ़ाने से पूरी होती है मनोकामना
किला स्थित प्राचीन बाबा अलखनाथ मंदिर का पुराना इतिहास है। महंत कालू गिरि महाराज के अनुसार इस स्थान पर अलखिया बाबा ने 926 साल पहले तपस्या की थी। उनकी समाधि के बाद यहां की सेवा की जिम्मेदारी नागा साधुओं ने संभाल ली थी। उन्होंने ही इस स्थान को अलखनाथ बाबा के नाम से पहचान दिलाई। आज भी उन्हीं के समुदाय के हम सब लोग मंदिर में सेवा दे रहे हैं। महाराज ने बताया कि यहां जो भी श्रद्धालु 40 दिन लगातार जल चढ़ाए तो उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। महंत कालू गिरि आनंद अखाड़े के अध्यक्ष भी हैं।
त्रिवटीनाथ : भोलेनाथ तक नंदी पहुंचाते हैं आपकी बात
प्रेमनगर स्थित बाबा त्रिवटीनाथ मंदिर का 600 साल पुराना इतिहास है। यहां स्वयंभू शिवलिंग है, जो तीन वट वृक्षों के बीच स्थित है। इसीलिए इस मंदिर को त्रिवटीनाथ के नाम से जाना जाता है। मंदिर के मीडिया प्रभारी संजीव औतार अग्रवाल ने बताया कि इस स्थान पर पहले घना जंगल था। अब यह मंदिर उत्तर प्रदेश के सभी सनातन प्रेमियों और भक्तों की आस्था का केंद्र है। भक्तों का प्रबल विश्वास है कि यहां सभी के मनोरथ पूर्ण होते हैं। लोग शिवलिंग के सामने स्थित नंदी के कान में अपने मन की बात कहकर भोलेनाथ तक पहुंचाते हैं।
वनखंडीनाथ : शिवलिंग को हिला तक न सके औरंगजेब के सिपाही
जोगी नवादा स्थित बाबा वनखंडीनाथ मंदिर महाभारत कालीन है। मान्यता है कि द्रौपदी ने इस शिवलिंग की स्थापना की थी। मुगलों ने कई बार इस जगह पर हमला किया। औरंगजेब के सिपाहियों ने शिवलिंग को जंजीरों से बांधकर सैकड़ों हाथियों से खिंचवाने की कोशिश की पर यह टस से मस न हुआ। ऐसा मनाना है कि यह इलाका पहले वन क्षेत्र में था। इसी कारण यह मंदिर वनखंडीनाथ के नाम से विख्यात हुआ। मंदिर कमेटी के संरक्षक हरि ओम राठौर ने बताया कि यहां शिवगंगा सरोवर में स्नान करने से सूखा रोग से ग्रस्त रोगी ठीक हो जाते हैं।
धोपेश्वरनाथ : यहां हर मन्नत होती है पूरी
कैंट स्थित बाबा धोपेश्वरनाथ मंदिर द्वापरकालीन है। यहां पर बाबा धूम्र ऋषि का आश्रम हुआ करता था। इसके इतिहास में दो बार भगवान शिव के श्रद्धालुओं को दर्शन देने का वर्णन मिलता है। बताते हैं कि यहां पर धूम्र ऋषि के शिष्य ने उनकी समाधि पर शिवलिंग की स्थापना की थी। इसीलिए यह स्थान धूम्रेश्वरनाथ के नाम से जाना गया और बाद में लोग धोपेश्वरनाथ कहने लगे। मंदिर कमेटी के सदस्य सतीश मेहता ने बताया कि मंदिर परिसर में स्थित सरोवर में स्नान करने से लोगों के चर्म रोग नष्ट हो जाते हैं।
मढ़ीनाथ : कुएं से प्रकट हुआ था शिवलिंग
मढ़ीनाथ मंदिर भी सैकड़ों वर्ष पुराना है। बताया जाता है कि यहां पर कुआं खोदा गया तो उसमें से दूध निकलने लगा। इस चमत्कार को देख लोगों ने पूजा-अर्चना शुरू कर दी। बाद में इसमें से शिवलिंग प्रकट हुआ, जिसकी एक स्थान पर स्थापना की गई। मंदिर के महंत प्रेम गिरि महाराज ने बताया कि यहां सर्पों का जोड़ा निकलता था, जिनकी मणि से यह स्थान प्रकाशमान होता है। उसी से जोड़कर इस मंदिर का नाम मणिनाथ रखा गया जो कालांतर में मढ़ीनाथ हो गया। यहां जो भी सच्चे मन से आकर मनौती मांगता है, वह पूर्ण होती है।
तपेश्वरनाथ : यहां बहती थीं गंगा, आज भी रेतीली है जमीन
सुभाषनगर स्थित तपेश्वरनाथ मंदिर एक सिद्धपीठ स्थल भी है। यहां पहले जंगल हुआ करता था। उस समय कई साधु-संतों ने यहां पर तपस्या की थी। इसलिए इसे तपोभूमि के नाम से जाना गया। यहां एक बाबा ने 400 वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। संतों की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव यहां विराजमान हुए थे। इसलिए इस मंदिर को तपेश्वरनाथ के नाम से जाना गया। मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित बिशन शर्मा ने बताया कि यहां लोग जो भी मनौती मांगते हैं पूरी होती है। प्राचीन काल में यहां गंगा बहती थीं। आज भी यहां की जमीन रेतीली है।
पशुपतिनाथ : यहां पूर्ण होते हैं भक्तों के मनोरथ
पीलीभीत बाइपास स्थित पशुपतिनाथ मंदिर लगभग तीन दशक पुराना है। यहां के व्यवसायी जगमोहन ने काठमांडू, नेपाल स्थित पशुपतिनाथ मंदिर की तर्ज पर इसे बनवाया था। आज यहां से बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुड़ गए हैं। पुजारी पंकज शर्मा ने बताया कि यहां पर भोलेनाथ के अलावा और भी देवी-देवताओं के मंदिर हैं। तालाब के बीच बने इस मंदिर में एक बड़े शिवलिंग के साथ ही 108 छोटे-छोटे शिवलिंग भी हैं। पुजारी सुशील शास्त्री ने बताया कि यहां जो भी सच्चे मन से मनौती मांगकर जाता है, उसकी मन्नत जरूर पूरी होती है।