नई दिल्ली : सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट के अक्षित गोयल बताते हैं कि अगले एक सप्ताह के भीतर प्रशांत महासागर के समुद्र तल में बना अल नीनो का बचा हुआ असर समाप्त होने वाला है। यही वजह है कि इस मानसून में अल नीनो का असर नहीं दिखने वाला।
कहने को मानसून भले ही अपने तय वक्त पर केरल में पहुंचने वाला है। लेकिन मानसून की झमाझम बारिश के अनुमान इस बार अगस्त के बाद ही होने का लग रहा है। दरअसल मानसून की सक्रियता और समय पर पहुंचने के बाद भी तेज बारिश की संभावनाएं अल नीनो की समाप्ति और ला नीनो की सक्रियता के चलते होने वाली हैं। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक अल नीनो का बचा हुआ असर भी अगले एक सप्ताह के भीतर पूरी तरह समाप्त हो जाएगा। उसके बाद ला नीनो का असर शुरू होगा, जिससे मानसून की बारिश तो ठीक होगी, लेकिन थोड़ी देरी से होगी।
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट के अक्षित गोयल बताते हैं कि अगले एक सप्ताह के भीतर प्रशांत महासागर के समुद्र तल में बना अल नीनो का बचा हुआ असर समाप्त होने वाला है। यही वजह है कि इस मानसून में अल नीनो का असर नहीं दिखने वाला। अक्षित कहते हैं कि अल नीनो के बाद प्रशांत महासागर के समुद्र तल में बदलाव की प्रक्रिया शुरू होगी, जिसके चलते ला नीनो का असर बनना शुरू होगा। वह बताते हैं कि ऐसी दशाओं में मानसून पर सकारात्मक असर पड़ता है। चूंकि अल नीनो और ला नीनो दोनों मौसम के पैटर्न हैं। ऐसे में एक की समाप्ति के बाद दूसरे पैटर्न के आने में कम से कम 60 से 90 दिन का वक्त लगता है। वह बताते हैं कि ऐसे में मानसून के इस दौरान न तो अल नीनो और न ही ला नीनो का असर दिखेगा। लेकिन जाते हुए मानसून के वक्त तक ला नीनो की सक्रियता बढ़ जाएगी और तेज बारिशें शुरू हो जाएंगी।
सीएसई के मौसम विशेषज्ञ अक्षित कहते हैं कि इसी वजह से इस साल के मानसून को सामान्य से बेहतर मानसून के तौर पर देखा जा रहा है। उनका कहना है कि अल नीनो के प्रभाव के चलते पिछले साल बारिश कम हुई थी। लेकिन प्रशांत महासागर के तल में ला लीनो इफेक्ट के चलते इस बार बेहतर बारिश का अनुमान लगाया जा रहा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक 2020 से लेकर 2023 के मानसून में अल नीनो का असर दिख रहा था। लेकिन इस साल जुलाई अगस्त के महीने में ही ला नीनो का असर दिखना शुरू हो जाएगा। वह बताते हैं कि अगस्त के बाद से उत्तर भारत के राज्यों में मानसून की तेज बारिश होने का पूरा अनुमान है।
मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा कहते हैं कि देश में जून में सामान्य वर्षा होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत के कुछ हिस्सों को छोड़कर जून में देश में सामान्य-सामान्य से अधिक अधिकतम तापमान के भी बने रहने की उम्मीद है। मौसम विभाग के वैज्ञानिकों के मुताबिक अल नीनो समाप्त हो रहा है और जुलाई के महीने से ला नीना विकसित होता हुआ दिख रहा है। ऐसे में उसके पूरी तरीके से विकसित होने पर भारी बारिश के तौर पर मानसून की सक्रियता बढ़ जाएगी। विभाग का अनुमान यही है कि जुलाई के बाद के महीना में यह बारिश और तेज होगी।