नई दिल्ली : पृथ्वी अपने अक्ष पर लगभग एक हजार मील प्रति घंटे की रफ्तार से घूमती है। धरती को एक चक्कर पूरा करने में 23 घंटे 56 मिनट और 4.1 सेकंड का समय लगता है। धरती निरंतर अपने अक्ष पर घूमती रहती है, इसी वजह से धरती के एक भाग में दिन होती है तो वहीं दूसरे हिस्से में रात रहती है। अगर आप खगोल विज्ञान में रुचि रखते हैं तो ये खबर आपके लिए ही है। दरअसल हाल ही में धरती की चाल में कुछ बदलाव पाया गया है।
वैज्ञानिकों की मानें तो धरती की आंतरिक कोर के घूर्णन की रफ्तार कम हो गई है। इस बदलाव को साल 2010 से मॉनिटर किया जा रहा है। इसके बाद वैज्ञानिकों ने यह राय बनाई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि धरती की आंतरिक कोर बेहद ठोस है, जिसमें लोहा और निकल मौजूद है। इसे धरती का सबसे गर्म और घना हिस्सा माना जाता है। यहां का तापमान 5500 डिग्री सेल्सियस तक रहता है।
भले ही धरती के इस हिस्से तक पहुंचना नामुमकिन है, लेकिन शोधकर्ता भूकंप की भूकंपीय तरंगों के जरिए धरती के कोर का अध्ययन करते हैं। एक स्टडी में सामने आया है कि पृथ्वी के आंतरिक कोर का घूर्णन बीते एक दशक से अधिक समय से धीमा हो गया है।
अगर आप सोच रहे हैं कि इस बदलाव से हम पर किस तरह का प्रभाव पड़ने वाला है, तो आपको बता दें कि कोर के घूर्णन के धीमे पड़ने से हमारे दिनों पर असर पड़ सकता हैं। ब्रह्मांड में आया यह बदलाव पूरे ग्रह के घूर्णन को बदल सकता है। इससे हमारे ग्रह पर दिनों की संख्या भी बढ़ सकती है।
एक स्टडी रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिणी कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटीके वैज्ञानिकों ने यह साबित किया है कि पृथ्वी का आंतरिक कोर पीछे की ओर जा रहा है।
वहीं यूएससी डोर्नसाइफ कॉलेज ऑफ लेटर्स, आर्ट्स एंड साइंसेज में अर्थ साइंस के डीन प्रोफेसर जॉन विडेल का कहना है कि, ‘जब पहली बार मैंने इस बदलाव के संकेत देने वाले सिस्मोग्राफ को देखा तो मैं स्तब्ध रह गया था।’ यदि यह ट्रेंड बना रहा तो, वह दिन दूर नहीं जब यह पूरे ग्रह के घूर्णन को बदल सकता है। इसकी वजह से दिन बढ़ सकते हैं।