नई दिल्ली : बढ़ते धूम्रपान की आदत, मोटापा और उच्च रक्तचाप की समस्या से युवा किडनी कैंसर का शिकार हो रहे हैं। वहीं मेट्रो शहरों में बढ़ते प्रदूषण के कारण यह समस्या और विकराल हो गई है। विशेषज्ञ बताते हैं कि 10 साल पहले तक दिल्ली के अस्पतालों में आने वाले 90 फीसदी से अधिक मरीज 60 साल से ऊपर की आयु के होते थे। समय के साथ लोगों की जीवनशैली खराब हुई।
इस सभी कारकों के कारण अब अस्पताल में आ रहे 40 फीसदी से अधिक मरीज 40 से 50 साल के हैं, जबकि 10 साल पहले यह आंकड़ा 10 फीसदी से भी कम था।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. हेमंत कुमार गोयल ने बताया कि 10 साल पहले तक 90 फीसदी मरीज 60 साल से अधिक आयु के होते थे,लेकिन मौजूदा समय में 60 साल से अधिक आयु के मरीजों की संख्या घटकर 60 फीसदी तक रह गई है। करीब 40 फीसदी मरीज 40 से 50 साल की आयु में आ रहे हैं। इनमें से अधिकतर मरीज एडवांस स्टेज के होते हैं। डॉक्टरों का कहनाहै कि शुरुआती दौर में इसका लक्षण नहीं दिखता।
पुरुषों में किडनी कैंसर का खतरा अधिक
सफदरजंग अस्पताल में नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. हिमांशु वर्मा ने बताया कि महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में किडनी कैंसर की आशंका तीन गुना अधिक होती है।
इन बातों का रखें ध्यान
50 की उम्र के बाद करवाएं नियमित जांच
पेट या कमर में दर्द हो, पेशाब में खून आए तो हो जाएं सतर्क।
धूम्रपान, मोटापा, उच्च रक्तचाप से पीड़ित 40 के बाद करवाएं जांच।जिनके परिवार में इस बीमारी से कोई पीड़ित रहा हो तो 40 के बाद जांच करवाएं।
समय पर निदान जरूरी
किडनी का कैंसर यदि शुरुआती दौर में पकड़ में आ जाए तो ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है।
डॉक्टर बताते हैं सफदरजंग अस्पताल में करीब 45 साल का एक मरीज पेशाब में खून आने व दूसरी शिकायत के साथ इलाज करवाने पहुंचा। नेफ्रोलॉजी विभाग में डॉ. हिमांशु वर्मा की टीम ने उनकी जांच की। जांच में पाया गया कि मरीज के पास केवल एक किडनी है। उनमें भी कैंसर बन गया है। यह केस काफी चुनौती भरा था। मरीज की किडनी निकाली नहीं जा सकती थी। ऐसे में उसे अस्पताल में ही भर्ती किया गया और पूरी जांच के बाद कैंसर प्रभावित किडनी के उक्त हिस्से को निकाल दिया गया। सर्जरी के बाद मरीज डायलिसिस पर आ गया।
दो माह तक मरीज को अस्पताल में भर्ती रखा गया। इस दौरान धीरे-धीरे यूरिन पास होने लगा। बाद में पूरी जांच के बाद जब डॉक्टर ने उसे छुट्टी दे दी। मौजूदा समय में वह जिंदगी सामान्य जी रहा है। डॉक्टरों ने बताया कि यह केस शुरुआती दौर का था। यदि मरीज एडवांस स्टेज में आता तो बचाना मुश्किल हो जाता।