?बिहार में शराबबंदी पर सियासत फिर से गर्माने लगी है.हाइलाइट्सबीजेपी विधायक ने तेजस्वी के सुर में मिलाया सुरशराबबंदी का मामला फिर से चर्चा के केंद्र में आयाताड़ी के बहाने सियासत चमकाने की कोशिश तेजपटना. बिहार में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसे देखते हुए अभी से ही लामबंदी शुरू हो गई है. सत्ता के साथ ही विपक्ष भी हर उस प्लेटफॉर्म का भरपूर इस्तेमाल करने में जुट गया है, जहां से सीधे जनता तक अपनी बात पहुंचाई जा सके. फिलहाल विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है, ऐसे में सरकार और विपक्ष के बीच विभिन्न मसलों पर बहस और चर्चा का दौर जारी ह. विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने ऐसा राग छेड़ दिया है, जिससे सियासत गर्माने लगी है. RJD नेता ने कहा कि यदि उनकी पार्टी या गठबंधन की सरकार बनती है तो वह ताड़ी से बैन हटवा देंगे.
तेजस्वी यादव के इस बयान से पैदा हुई लहर दूसरे खेमे तक जा पहुंची है. कांग्रेस विधायक के साथ ही भाजपा के एक विधायक ने भी इस मसले पर तेजस्वी का साथ दिया है. बीजेपी विधायक का इस मुद्दे पर RJD नेता के साथ आना कई मायनों में चौंकाने वाला है.तेजस्वी यादव का ताड़ी पर दिए गए बयान के बाद कांग्रेस विधायक प्रतिमा दास उनके साथ आ गईं. कांग्रेस विधायक प्रतिमा दास ने कहा कि तेजस्वी यादव के ताड़ी से बैन हटाने का फैसला स्वागत योग्य है. महादलित समाज के लोगों की जीविका ही ताड़ी है. वे ताड़ी बेचकर परिवार का भरण पोषण करते हैं, लेकिन सरकार की तरफ से उन्हें मारपीट कर जेल में भेज दिया जाता है. प्रतिमा दास ने दावा किया कि अभी तक इस मामले में लाखों केस पेंडिंग पड़े हैं. पातेपुर से बीजेपी विधायक लखींद्र पासवान ने भी ताड़ी पर से प्रतिबंध हटाने के मसले पर तेजस्वी का साथ दिया. उन्होंने ताड़ी को जूस बताया और कहा कि उसमें यदि किसी तरह का केमिकल न मिलाया जाए तो वह अन्य फलों के जूस से ज्यादा बेहतर है. हालांकि, साथ ही भाजपा विधायक ने इस मसले पर तेजस्वी यादव की खिंचाई भी की. लखींद्र पासवान ने कहा कि तेजस्वी यादव भी तो सरकार में थे, तब क्यों नहीं ताड़ी से बैन हटाया था.
बीजेपी विधायक ने उनपर पर जनता को ठगने का भी आरोप लगाया.ताड़ी तो बहाना है, असली निशाना तो…दरअसल, अगले साल विधानसभा चुनाव होना है. ऐसे में शराबबंदी एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है. बता दें कि शराब के कारोबार से एक बड़ा तबका प्रभावित है. साथ ही इसे पीने वालों की तादाद भी बड़ी है, ऐसे में हर पार्टी इस मुद्दे को भुनाने में जुटी है. अतीत में बीजेपी के कई नेता भी शराबबंदी का मुद्दा उठा चुके हैं. अब जब तेजस्वी यादव ने ताड़ी को प्रतिबंधित सूची से बाहर निकालने की बात छेड़कर नब्ज टटोलन की कोशिश की है. उनका बयान सामने आने के बाद बीजेपी और कांग्रेस विधायकों ने इसका समर्थन कर दिया है. ऐसे में इसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस मसले पर एक मंच पर लाने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है. साथ ही सीएम नीतीश पर शराबबंदी के बहाने दबाव बनाने की रणनीति भी बताई जा रही है.
…ताड़ी कैसे बनी वोट पॉलिटिक्स?बिहार के बड़े तबके में ताड़ी का प्रचलन काफी ज्यादा है. खासकर मगध बेल्ट में बड़ी संख्या में लोग इसका उपयोग करते हैं. साथ ही बड़ी तादाद में लोगों के लिए यह जीवन-यापन का साधन भी था. नीतीश सरकार ने शराबबंदी नीति के तहत इसे भी बैन कर दिया. अब समझने वाली बात यह है कि ताड़ी के कारोबार से ज्यादातर महादलित समुदाय के लोग जुड़े रहते थे. बता दें कि बिहार की आबादी में दलितों-महादलितों की भागीदारी तकरीबन 14 फीसद है, ऐसे में वोटर के इस सेक्शन को लुभाने के लिए हर दल कोशिश करता रहता है. तेजस्वी यादव के ताड़ी पर से बैन हटाने के वादे को भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है.