रायपुर: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हर ओर महिलाओं के योगदान और उनके अधिकारों को लेकर चर्चा हो रही है. इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ की बात की जाए तो यहां पर भी महिलाओं के शिक्षा स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर बड़े बड़े दावे किए जाते रहे हैं. आखिर महिलाओं के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा क्यों जरूरी है यह उन्हें कैसे मिलेगा, इसके लिए क्या कदम छत्तीसगढ़ में उठाए गए हैं इसको लेकर ईटीवी भारत की टीम ने चर्चा की. हमारी टीम ने अलग अलग क्षेत्रों में काम करने वाली महिलाओं से बात की
.छत्तीसगढ़ में एजुकेशन बेहतर: सामाजिक कार्यकर्ता सीमा छाबड़ा कहती हैं कि छत्तीसगढ़ में लड़कियों के एजुकेशन को लेकर बहुत काम किया गया है. फ्री में शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है, फ्री यूनिफॉर्म, स्कूल आने जाने की फ्री सुविधा भी दी जा रही है. सीमा छाबड़ा कहती हैं कि यदि लड़कियां महिलाएं शिक्षित होंगी तो उनका परिवार और समाज शिक्षित होगा, बेहतर विकास करेगा.
स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर राय भोजन के साथ पढ़ाई भी बेहतर हो: सामाजिक कार्यकर्ता सीमा छाबड़ा कहती हैं कि हालांकि इतनी व्यवस्थाओं के बाद भी आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार की यह योजनाएं पहुंच नहीं पाती हैं. योजनाओं को लेकर लड़कियों को जानकारी नहीं होती है. फ्री में स्कूलों में भोजन कराया जाता है.
सरकार को चाहिए कि बच्चों को भोजन कराने के साथ उनको बेहतर पढ़ाने की भी व्यवस्था हो. शहरी महिलाओं को जो लाभ मिलने चाहिए वो भी मिलें
.जननी सुरक्षा योजना: सामाजिक कार्यकर्ता रेवती सिंह ने कहा की राज्य सरकार के द्वारा बच्चों और माताओं के लिए कई योजनाएं संचालित हैं, जननी सुरक्षा को लेकर सरकार कार्यक्रम चला रही है. इसके तहत शासकीय अस्पतालों में निशुल्क इलाज होता है. डिलीवरी के लिए निशुल्क एंबुलेंस की व्यवस्था होती है. बच्चों के स्वास्थ्य के लिए निशुल्क जांच और उपचार की व्यवस्था भी सरकार के द्वारा की गई है. यह योजना हर महिला तक पहुंच सके इसका बंदोबस्त सरकार को करना चाहिए. सामाजिक कार्यकर्ता रेवती सिंह ने कहा की सबको योजनाओं का लाभ मिले इसके लिए हमारी संस्था लगातार काम भी कर रही है. हम महिलाओं को जागरुक करते हैं जिससे सरकार की योजना का लाभ समान रुप से सबको मिले
.संविधान से मिले अधिकार का हो पालन: अधिवक्ता गायत्री साहू ने बताया कि छत्तीसगढ़ में संविधान के तहत कानून में महिलाओं को कई अधिकार दिए गए हैं, जिससे वह सशक्त हो सकें.
छत्तीसगढ़ में भी महिलाओं के कानून को लेकर काम किया गया है. पूर्व की बात की जाए तो पहले टोनही के नाम पर महिलाओं को प्रताड़ित किया जाता था. उनके साथ मारपीट की जाती थी. यहां तक की उनकी हत्या भी कर दी जाती थी. कानून सख्ती से काम कर रहा है, थानों में महिलाएं रिपोर्ट दर्ज कराने जा रही हैं. अब आसानी से उनकी शिकायत दर्ज हो रही है. फोन पर भी शिकायतें महिलाएं दर्ज करवा रही हैं
.महिलाएं फोन पर दर्ज करवा रही हैं शिकायतें: अधिवक्ता गायत्री साहू ने कहा कि दहेज के मामलों को लेकर भी छत्तीसगढ़ में बेहतर काम किया गया है. बाल विवाह के मामले अब पूरी तरह से खत्म हो रहे हैं. दहेज के मामले जरुर सामने आते रहते हैं. कामकाजी महिलाओं का पहले काफी शोषण किया जाता था पर अब हालात बदल रहे हैं. महिलाओं के लिए अब सेपरेट वॉश रुम रहते हैं. महिलाओं को उनके अधिकार और सुविधाएं दी जा रही हैं. योजनाओं का लाभ मिल रहा है.
जवाबदारी अफसरों की होनी चाहिए: अधिवक्ता गायत्री साहू ने कहा कि केंद्र सरकार या राज्य सरकार के द्वारा कानून बनाया जाता है, कानून अच्छे होते हैं लेकिन उसके क्रियान्वयन करने की जवाबदारी नीचे के अधिकारियों की होती है.
इसके अलावा हमारी खुद की भी जिम्मेदारी होती है. महिलाएं जब शिक्षित होंगी तब अपने अधिकारों को लेकर सजग रहेंगी
.लड़कियों को मिलनी चाहिए बेहतर शिक्षा: सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एक सुर में कहा कि जब महिलाएं और बेटियां शिक्षित होंगी तो समाज भी शिक्षित होगा. महिलाएं घर वालों को भी शिक्षित करेंगी. सामाजिक कार्यकर्ता और कानून की जानकारी गायत्री साहू ने कहा कि इसके लिए सभी को मिलकर काम करना होगा. शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य तक के क्षेत्र में और बदलाव लाना होगा. ग्रामीण इलाकों में भी हालात बदले इसके लिए काम करने की जरुरत है.