आज 4 नवंबर 2025 को भारत ने अंतरिक्ष इतिहास में एक और स्वर्णिम अध्याय जोड़ा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने शक्तिशाली LVM3-M5 रॉकेट की मदद से देश का अब तक का सबसे भारी संचार उपग्रह ‘CMS-03’ सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया। यह लॉन्च श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया गया, और यह मिशन लगभग सुबह 9:00 बजे संपन्न हुआ।CMS-03 सैटेलाइट का वजन करीब 6,800 किलोग्राम बताया जा रहा है, जो इसरो द्वारा अब तक छोड़े गए सभी सैटेलाइट्स में सबसे भारी है। इसका मुख्य उद्देश्य भारत के समुद्री इलाकों, पहाड़ी राज्यों और दूरस्थ द्वीपों में हाई-स्पीड इंटरनेट और संचार सुविधाएँ उपलब्ध कराना है। इसके अलावा, यह रक्षा संचार और आपदा प्रबंधन के दौरान डेटा ट्रांसफर को भी अधिक सक्षम बनाएगा।इसरो प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ ने कहा कि “यह मिशन भारत की अंतरिक्ष स्वायत्तता और डिजिटल कनेक्टिविटी की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। CMS-03 देश के नागरिकों को इंटरनेट क्रांति से जोड़ने में अहम भूमिका निभाएगा।”सरकार ने इस प्रक्षेपण को “डिजिटल इंडिया 2.0” पहल से जोड़ते हुए बताया कि यह उपग्रह आने वाले वर्षों में भारत के संचार-नेटवर्क को अंतरराष्ट्रीय मानकों के स्तर तक ले जाएगा। इससे भारत उन कुछ देशों की श्रेणी में शामिल हो गया है जो भारी संचार उपग्रह को स्वदेशी तकनीक से लॉन्च करने में सक्षम हैं।वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस सैटेलाइट की उम्र लगभग 15 वर्ष होगी। यह भू-स्थिर कक्षा (Geostationary Orbit) में लगभग 36,000 किलोमीटर की ऊँचाई पर काम करेगा और भारत के पूरे उपमहाद्वीप को कवर करेगा।अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस सफलता ने भारत की छवि को और मजबूत किया है। अमेरिका, जापान और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसियों के विशेषज्ञों ने भी इसरो की इस उपलब्धि को सराहा है। वैश्विक मीडिया ने इसे “भारत की अंतरिक्ष आत्मनिर्भरता की छलांग” कहा है।कुल मिलाकर, 4 नवंबर 2025 का यह दिन भारत के लिए गौरवपूर्ण बन गया है — जब देश ने तकनीकी उत्कृष्टता और आत्मनिर्भरता दोनों को एक साथ नई ऊँचाई पर पहुँचाया। आने वाले वर्षों में CMS-03 सैटेलाइट भारत के डिजिटल बुनियादी ढाँचे को नई दिशा देगा और करोड़ों लोगों को तेज़ व स्थिर संचार-सेवा से जोड़ेगा।






