मुज्जफरपुर:- अभियोजन के अनुसार मीरापुर क्षेत्र के गांव वलीपुरा निवासी महबूब ने 12 अक्टूबर 2019 को थाने में गुमशुदगी दर्ज कराते हुए बताया था कि उसका 27 वर्षीय बेटा इरशाद दो दिन पहले बाइक पर सवार होकर कैलापुर में टाइल्स फैक्ट्री में ड्यूटी पर गया था। उसके बाद वह लौट कर घर नहीं पहुंचा। तीन दिन बाद गांव कासमपुर खोला के जंगल से इरशाद का शव बरामद हुआ था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इरशाद की मौत का कारण गला घोटना आया। पुलिस की विवेचना में सामने आया था।
बचाव पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता धर्मवीर सिंह ने बताया कि घटना के मुकदमे की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या-10 हेमलता त्यागी ने की। बताया कि पुलिस ने दीपक की निशानदेही पर शव बरामद होना दर्शाया। जबकि इरशाद के रिश्तेदार ने शव मिलने की सूचना पुलिस को दी थी। इरशाद की बाइक को बिजनौर से दीपक की निशानदेही पर बरामद दर्शाया। जबकि किन पुलिसकर्मियों द्वारा बाइक बरामद की गई, इसका प्रमाण नहीं दिया। इन तर्कों के आधार पर संदेह का लाभ और साक्ष्यों के अभाव में कोर्ट ने दीपक को बरी कर दिया। बताया कि दीपक की जमानत हाईकोर्ट से भी खारिज हो गई थी। वह चार साल से जेल में निरुद्ध था। एडीजे-10 हेमलता त्यागी ने मुकदमे का फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया।