रायपुर। प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े हाट सीट में बाहरी और भीतरी को लेकर चुनावी भट्ठी गरम हो रही है। इसे गरमाने वाले भी मौके पर चौका लगाने वाले है, जो चुनाव के एक-एक क्षण फायदे के नजरिए से देखरहे है। गिरीश देवांगन और डा. रमनसिंह में टक्कर कांटेदार होने की भविष्यवाणी राजनीतिक पंडित भी कर रहे है।
अब रमन की राह उतनी आसान नहीं जितना वो सोचा करते थे, अब सारे समीकरण बदल गए है। पहले सीएम चेहरा हुआ करते थे, अब मोदी का मुखौटा लगाकर चुनाव लडऩा पड़ रहा है। फर्क तो पड़ता है।
राजनीतिक जानकारों की मानें तो राजनांदगांव में जो हवा बह रही है उसे भी बाहरी और भीतरी कहा जा रहा है। दस साल तक राजनांदगांव का प्रतिनिधित्व करने वाले डा. रमनसिंह को गैर छत्तीसगढिय़ा और गिरीश देवांगन को विशुद्ध छत्तीसगढिय़ा कहा जाने लगा है। क्योंकि सीएम भूपेश ने पूरे पांच साल तक सरकार की तमाम योजनाओं को छत्तीसगढिय़ा वाद का या स्वरूप देकर लोगों के मन में जो कुंठा भरा था कि लोग छत्तीसगढिय़ा बैला कहते है को, छत्तीसगढिय़ा सबसे बढिय़ा बनाकर पूरे विश्व में छत्तीसगढ़ का डंका बजवाया जिससे छत्तीसगढ़वासियों का आत्म सम्मान जगाने में कारगर साबित हुआ ।
अब लोग न जय जोहार में शरमाते है न छत्तीसगढ़ी बोलने में घबराते है, अब तो दिल्ली भी हवाई जहाज से जाते है और दिल्ली से लेकर विदेशों में छत्तीसगढ़ी खान-पान बटकी में बासी अऊ चुटकी में नून खाकर छत्तीसगढ़ी धड़ल्ले से-बोलने लगे है।
तीन बार के मुख्यमंत्री रहे डा. रमन सिंह के सामने कांग्रेस ने मुख्यमंत्री के सलाहकार और सहपाठी को उतार कर तगड़ी घेराबंदी करने की कोशिश की जा रही है। बाल सखा गिरीश देवांगन को 2018 के चुनाव में सीएम भूपेश ने वादा किया था, कि 2018 में फंंडिंग का ध्यान रखो, तब गिरीश देवांगन कांग्रेस के कोषाध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारी संभालते थे, और भूपेश बघेल अध्यक्ष थे, भूपेश के समक्ष गिरीश चुनाव लडऩे की इच्छा जताई तो भूपेश ने सलाह दे दी कि सत्ता में काबिज होते ही सबसे पहले बड़ी जिम्मेदारी आपको मिलेगी।
फिर अगले विधानसभा में जहां से चुनाव लड़ना है वहां जमीन तलाशते रहना । भूपेश बघेल ने पूरी ईमानदारी से जो वादा किया उसे बखूबी निभाया। गिरीश देवांगन को खनिज विकास निगम का चेयरमैन बनाकर गिरीश देवांगन को गिरीश बना दिया। जैसे ही चुनाव का ऐलान भाजपा ने अपने 21 प्रत्याशियों के नाम घोषित कर चुनाव में बढ़त बना ली। उसके बाद डेढ़ माह तक भाजपा सीएम चेहरा को लेकर भ्रमित रही, तो हाई कमान के आदेश पर पीएस मोदी के चेहरे पर चुनाव लडऩे की बात पर सहमति बनी।
जब दूसरी सूची में विलंब होने लेगी तो पार्टी के नेताओं सहित सत्तादारी दल के नेता कयास लगा रहे थे कि डा. रमनसिंह को टिकट नहीं दिया जाएगा। लेकिन कयासों के विपरीत भाजपा ने फेर दिया। भाजपा ने सीएम चेहरा की जगह संयुक्त रूप से मिलकर चुनाव लडऩे का मंत्र दिया। अब पहले चरण के लिए भाजपा की दूसरी सूची जारी होने के बाद कांग्रेस की पहली सूची में देरी को लेकर तरह -तरह के राजनीतिक अफवाहों के साथ समीकरण बैठने की खबरेें सोशल मीडिया में वायरल होती रही। कहा तो यहां तक जा रहा था कि राजनांदगांव सीट से भााजपा ने पूर्व सीएम को उतारा है तो वर्तमान सीएम को भी वहीं से उतारा जा सकता है।
भाजपा के पास तो पांच-पांच सीएम चेहरा है, अरूणसाव, डा. रमनसिंह, बृजमोहन अग्रवाल, नारायण चंदेल, धरमलाल कौशिक । वहीं कांग्रेस के पास पूर्व के पांच चेहरों सीएम भूपेश,टीएस सिंहदेव, डा. चरणदास महंत, सत्यनारायण शर्मा और नए में दीपक बैज का नाम शामिल हो गया है। भाजपा ने भी विधानसभा चुनाव में सीएम चेहरा ओपन न करके पांच-पांच मुख्यमंत्री के दावेदारों को चुनावी कुरूक्षेत्र में उतारा है। 15 साल तक सीएम रहे डा. रमन को सीएम चेहरा नहीं बनाकर भीड़ में जोड़ दिया है।
पूर्व मुख्यमंत्री को टक्कर देने के लिए सत्तादारी दल के कनिज विकास निगम के अध्यक्ष और सीएम भूपेश के बालसखा को पूर्व सीएम के सामने उतार कर कांग्रेस यह संदेश दे रही है कि वर्तमान सीएम का निर्वाचन क्षेत्र नहीं बदला जाएगा। लेकिन डा. रमनसिंह को टक्कर दोने सीएम जैसे ही कद्दावर नेता को मैदान में उतारा जाएगा और वहीं हुआ भी।
सीएम भूपेश ने डा. रमन के सामने गिरीश देवांगन को उतार कर यह संदेश देने की कोशिश की है कि मैं नहीं मेरे जैसे पार्टीा में और नेता है जो डा, रमनसिंह को टक्कर दे सकते है, और वह है गिरीश देवांगन जो मांग रहे थे, भाटापारा से लेकिन मिल गया राजनांदगीांव से। खैर किस्मत की बात है कि राजनांदगांव गिरीश देवागंन का ननीहाल है, लोग गिरीश देवांगन को राजनांदगांव के भांजे के रूप में जानते है। लेकिन गिरीश ने कभी जंचाने की कोशिश नहीं की।
वो धीरे-धीरे भूपेश बघेल के साथ रहकर राजनीतिक के सारे हथकंडे में पारंगत होते गए है। अब तक का गिरीश देवांगन के सार्वजनिक जीवन का यह पहला चुनाव होने के बाद उनके चेहरे पर किसी तरह दबाव नहीं है, कारण यही है कि यह माना जा रहा है कि यहां से गिरीश देवांगन नहीं सीएम भूपेश बघेल ही चुनाव लड़ रहे है।