भोपाल:– मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के कोलार क्षेत्र में स्थित मां सिद्धिदात्री मंदिर मध्यप्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश में अपनी अनोखी परंपराओं और मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर ललिता नगर की एक पहाड़ी पर स्थित है, जहां तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को लगभग 300 सीढ़ियों की चढ़ाई करनी पड़ती है। यहां देवी मां को बेटी के रूप में पूजा जाता है और उनके श्रृंगार व सेवा में कोई कमी नहीं रखी जाती।
30 साल पहले की गई थी स्थापना
आपको बता दें कि, इस मंदिर की स्थापना करीब 30 साल पहले की गई थी। इस मंदिर की स्थापना ओमप्रकाश जी ने की थी। मान्यता है कि उन्होंने भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह कर स्वयं पार्वती जी का कन्यादान किया था। तभी से वे माता को अपनी बेटी मानते हैं और उसी भाव से सेवा करते हैं। यही कारण है कि यहां मां को प्रसाद की जगह चप्पल, सैंडल, घड़ी, चश्मा, कैप, कपड़े और खिलौने जैसे वस्तुएं चढ़ाई जाती हैं।
बाल रूप में विराजमान हैं माता
मां जीजीबाई यहां बाल रूप में विराजमान हैं। उनकी सेवा में हर दिन नई पोशाक पहनाई जाती है, और यदि ओमप्रकाश जी को यह आभास होता है कि मां खुश नहीं हैं, तो दिन में दो-तीन बार भी कपड़े बदले जाते हैं। पिछले 25 वर्षों में 15 लाख से अधिक चप्पल, कपड़े और श्रृंगार मां को अर्पित किए जा चुके हैं।
नवरात्रि में मंदिर में विशेष कार्यक्रम होते हैं, जैसे महायज्ञ, अनुष्ठान, कन्या पूजन आदि। मंदिर में देश-विदेश से भक्त चप्पलें और अन्य उपहार भेजते हैं। सिंगापुर, पेरिस, जर्मनी और अमेरिका से भी मां जीजीबाई के लिए विशेष चप्पलें आती हैं। हाल ही में पेरिस से सैंडल और लंदन से घड़ी मां को चढ़ाई गई है।
जरूरतमंद लोगों में जाता है चढ़ा हुआ प्रसाद
एक और खास बात यह है कि यहां चढ़ाई गई वस्तुएं बेकार नहीं जातीं। मंदिर प्रबंधन उन्हें गरीब और जरूरतमंद लोगों में प्रसाद के रूप में वितरित करता है, जिससे समाज सेवा और धार्मिक भावना का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
इस परिसर में जीजीबाई माता के अलावा मां दुर्गा के 9 स्वरूप, करवा चौथ माता मंदिर, नवग्रह मंदिर, काली माता मंदिर, श्रीराम दरबार, और 12 ज्योतिर्लिंग समेत लगभग 40 देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं। यह स्थान केवल पूजा का नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र बन चुका है।






