छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित उच्च न्यायालय ने राज्य में बेहद खतरनाक मानी जाने वाली ‘चीनी मनजा’ (सिंथेटिक पतंग डोर) के निर्माण, भण्डारण, विक्रय और उपयोग पर कठोर निषेधात्मक आदेश जारी किए हैं। यह आदेश 3 नवंबर को स्टार्ट हुआ एक स्वतः संज्ञान जनहित याचिका के बाद दिया गया था जिसे उस वक्त खोला गया था जब जनवरी 2025 में एक सात-साल के बच्चे की जान कुश्ती गई थी, जिसके गले में यह तेज़ तार फँस गया था। न्यायालय ने बताया कि ऐसे मनजा-तारों से न सिर्फ बच्चों को बल्कि आम राहगीरों, वाहन चालकों व हेलीकॉप्टर/ड्रोन-उड़ानों के लिए भी गंभीर जोखिम उत्पन्न हो रहा है। आदेश में राज्य सरकार, पुलिस और नगर-प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि वे तुरंत-तत्काल इस निषेध को प्रभावी बनायें—जिसका अर्थ है निर्माण फैक्ट्रियों की जाँच-पड़ताल, विक्रेताओं की सूची बंद करना, बाजार से स्टॉक हटाना और उल्लंघनकर्ता पर दंडात्मक कार्रवाई करना।उदाहरण स्वरूप, रिपोर्ट में यह उल्लेख है कि हाईकोर्ट ने “निर्माणकर्ता-विक्रेता-उपयोगकर्ता त्रिकोण” को एक-साथ नियंत्रित करने का निर्देश दिया है, ताकि सिर्फ विक्रय-प्रक्रिया रोकी न जाए बल्कि पूरे चेन-प्रक्रिया में निगरानी स्थापित हो सके। आदेश के बाद जनहित याचिका मामले को “पूरा समाप्त” घोषित कर दिया गया है क्योंकि न्यायालिका को अनुपालन-रिपोर्ट मिल चुकी है कि राज्य में अधिकांश जगह इस निषेध का पालन शुरू हो गया है। विश्लेषकों का कहना है कि यह फैसला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पतंग-उत्सवों के दौरान हर साल बच्चों व वाहन-चालकों की ओर से हादसों की संख्या बढ़ती है — और इस तरह की पहल से सुरक्षा-संवेदनशीलता को व्यापक पैमाने पर जागरूक किया जा सकता है।हालाँकि, अभी चुनौतियाँ अभी भी बनें हुए हैं: ग्रामीण-क्षेत्रों में यह ‘मनजा’ गुप्त रूप से बिकता रहा है, निगरानी कम रही है और उपयोगकर्ता पर पर्याप्त जागरूकता नहीं थी। अब राज्य सरकार-प्रशासन के सामने यह असाइनमेंट है कि वे इस आदेश को सिर्फ कागजों पर न रहने दें, बल्कि वास्तविक क्रियान्वयन सुनिश्चित करें—जैसे-जैसे पतंग-उत्सव करीब आएँ, बाजारों-सड़कों में निरीक्षण-ताकीद हो।कुल मिलाकर, इस तरह की कार्रवाई यह दिखाती है कि राज्य में सुरक्षा-प्राथमिकताओं व जनहित-नियंत्रणों को अब उच्च न्यायालय-और-प्रशासन की दृष्टि में गंभीरता से लिया जा रहा है। आने वाले माह-उत्सवों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस आदेश का प्रभाव कितनी तीव्रता से धरातल पर दिखता है।






