मध्यप्रदेश:– अक्सर लोग मानते हैं कि पूर्वजों की कृपा पाने और उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए सिर्फ़ श्राद्ध पक्ष के 15 दिनों का ही महत्व है. जबकि धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि पितृ केवल श्राद्ध काल में ही नहीं, बल्कि पूरे वर्ष स्मरण और श्रद्धा की अपेक्षा रखते हैं. अगर हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में कुछ आसान घरेलू उपाय शामिल कर लें, तो पूर्वज सदा प्रसन्न रहते हैं और घर में सुख-शांति का वास होता है.
दीप जलाना – प्रतिदिन संध्या को तुलसी या पूजा स्थान पर घी का दीपक जलाकर पितरों को स्मरण करें.
जल अर्पण – सुबह तांबे के लोटे से पीपल या तुलसी को जल अर्पित करना पूर्वजों की तृप्ति का प्रतीक है.
पिंडदान का विकल्प – प्रतिदिन एक रोटी गाय, कुत्ते या कौवे को खिलाना पितृसेवा का सहज उपाय है.
सत्संग और पाठ – घर में गीता, रामचरितमानस या विष्णु सहस्रनाम का पाठ कर पूर्वजों को पुण्य अर्पित करें.
दान और सेवा – गरीब, वृद्ध और जरूरतमंद को भोजन या वस्त्र देना पूर्वजों को याद करने का श्रेष्ठ माध्यम है.
स्मरण और आशीर्वाद – समय-समय पर पूर्वजों की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर उनकी शिक्षाओं को जीवन में उतारें.
व्रत और संयम – महीने में किसी एक दिन फलाहार व्रत रखकर पितरों की आत्मा की शांति की प्रार्थना करें.