
नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी का असर भारत में भी देखने को मिल सकता है। माना जा रहा है कि विधानसभा चुनावों के बाद ग्राहकों को बड़ा झटक लग सकता है।
बत दें कि देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें पिछले 3 महीने से नहीं बढ़ी हैं। इस कारण सरकारी तेल कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है, देश में पेट्रोल-डीजल की बिक्री में सरकारी कंपनियों की हिस्सेदारी 90 फीसदी से अधिक है। आपूर्ति बाधित होने के साथ यूरोप और मध्य एशिया में राजनीतिक तनाव बढ़ने के कारण वैश्विक बाजार में कच्चे तेल के भाव बढ़े हैं।
विश्लेषकों का कहना है कि कच्चे तेल की कीमतों में नरमी लाने के लिए राजनीतिक तनाव का खत्म होना जरूरी है, अगर रूस और यूक्रेन में तनाव बना रहा तो कच्चे तेल के दाम आसमान पर पहुंच जाएंगे, ऐसा भी संभव है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत 125 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच जाएं।
देश में पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में सरकार पेट्रोल और डीजल की कीमत बढ़ाकर वोटर को नाराज नहीं करना चाहती है।