बसंत पंचमी कला साधकों के उल्लास का अलंकरण : शशिभूषण सोनी
टीवी 36-हिन्दुस्तान । चांपा जांजगीर बसंत पंचमी कृषि कुसुमित संस्कृति का उल्लास पर्व हैं । मां सरस्वती मूलतः ज्ञान प्रकृति स्वरूपा हैं । कवियों की लेखनी और वाणी में यही प्रकृति ज्ञान दिखाई पड़ता हैं । ऋग्वेद के अनुसार देवी सरस्वती मां परम चैतन्य हैं , ये हमारी बुद्धि , प्रज्ञा की संरक्षिका हैं ।”
•••••उपरोक्त विचार अक्षर साहित्य परिषद एवं महादेव महिला साहित्य समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित भगवती सरस्वती जयंती , निराला जयंती एवं वसंत काव्य संध्या के समारोह के अवसर पर डॉक्टर रमाकांत सोनी ने अपने उद्बोधन में व्यक्त किए ।इस अवसर पर संरक्षक कैलाशचंद्र अग्रवाल ने कहा आज ही के दिन देवी सरस्वती ब्रह्मा जी के मानस में अवतीर्ण हुई थी । पुराणों से मिली जानकारी के अनुसार ब्रह्मा ने जब सृष्टि की रचना की तब सृष्टि मूक थी । सृष्टि को देवी सरस्वती की वीणा नाद से वाक शक्ति प्राप्त हुई । इस अवसर पर महादेवी महिला साहित्य समिति के अध्यक्षा सुशीला सोनी ने कहा कि जिस उत्साह के साथ जीवन में परिवर्तन का मनुष्य ने स्वागत किया वसंत पंचमी ऋतुओं के उसी सुखद परिवर्तन का एक रूप हैं । यह प्रकृति के नए श्रृंगार का पर्व हैं । अक्षर साहित्य परिषद अध्यक्ष एवं शासकीय हाईस्कूल कनकी [ कोरबा ] के व्याख्याता रामनारायण प्रधान ने कहा सरस्वती का एक अर्थ अपने संपूर्ण अस्तित्व का सृजनात्मक राग हैं , जो साहित्य , संगीत और कला साधकों के स्वरों को मधुरता एवं उल्लास प्रदान करता है ।

परिषद के उपाध्यक्ष शशिभूषण सोनी ने वसंत पंचमी को कला साधकों के उल्लास का अलंकरण निरूपित किया ।
कार्यक्रम का प्रारंभ मंचस्थ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती और महाप्राण निराला निराला की प्रतिमा समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं पूजन अर्चन से हुआ । इसके पश्चात कु. साक्षी कटाकवार एवं कु. मधु गुप्ता ने शास्त्रीय संगीत के स्वरों में शुक्लां ब्रह्म विचार सार एवं मां शारदे वर दे हमें , की मधुर प्रस्तुति दी ।
कार्यक्रम के दूसरे दौर में वासंती काव्य संध्या की शुरुआत करते हुए श्रीमति सत्यभामा साव ने आम्रकुंज से झांकने लगा हैं कोई , के चारों दिशाएँ उमगित करने लगा हैं कोई , सुनाकर वासंती वातावरण प्रस्तुत किया । वही श्रीमति सविता कोसे ने छत्तीसगढ़ी पंथी लोक धुन पर सरस्वती मैया लागूं तोर पंइयॉं, तही हस मोरे लाज के बचैया, सुनाकर वाहवाही लूटी । कल्याणी स्वर्णकार ने अपनी रचना के माध्यम से बसंत का जीवंत चित्रण किया ।शांता गुप्ता की स्वरचित रचना मां शारदे मां ने लोगों की वाह-वाही लूटी । शिक्षक प्रहलाद वैष्णव ने वन वन छाई बहार सखी री, धरती करत सिंगार श्रृंगार सखी री, के माध्यम से बसंत का चित्र खींचा । मुकेश सिंघानिया, अल्पना सोनी, सागर प्रधान दाऊद मेमन, जीवन यादव बीएल महिलांगे, रामनारायण प्रधान ने अपनी सरस रचनाओं से उपस्थित श्रोताओं को रस विभोर किया । कार्यक्रम में मुकेश सिंघानिया , दाऊद मेमन और पवन यादव ने परिषद की सदस्यता ग्रहण की । मंचस्थ अतिथियों द्वारा पवन यादव के दुर्घटनाग्रस्त गौ माता की सेवा एवं रक्तदान शिविर संचालन कार्यों की प्रशंसा की गई । कार्यक्रम का सफल संचालन राधिका सोनी एवं आभार प्रदर्शन प्रहलाद वैष्णव द्वारा किया गया ।