
कोरबा :- ऊर्जाधानी कोरबा में ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगारों को राहत देने के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत ग्रामीण परिवारों को वित्तीय वर्ष में 150 दिवस रोजगार प्रदान करने की मांग। ऊर्जाधानी संगठन के अध्यक्ष सपूरन कुलदीप प्रेस को जारी बयान में कहा है कि जब युवा बेरोजगार रोजगार की तलाश में जिले के आद्योगिक संस्थानों में भटक रहे है ऐसे स्थिति में मनरेगा ग्रामीण परिवारों को तात्कालिक राहत प्रदान कर सकता है लेकिन शासन-प्रशासन की लापरवाही और भ्रष्टाचार के कारण रोजगार देने के इस कानून का लाभ ग्रामीण परिवारों को नहीँ मिल रहा हैं ।
कुलदीप ने बताया कि कोरबा जिला आद्योगिक नगरी के साथ साथ कृषि आधारित जिला है जिसके कारण ग्रामीण बेरोजगार काम के लिए उद्योग क्षेत्र में भटकते हैं कृषि कार्य के बाद बड़ी संख्या में जिले से देश के दूसरे हिस्से में पलायन करते हैं । आगे कहा कि मंत्री ,विधायक और अन्य छोटे बड़े जनप्रतिनिधि कोयला खदानों में काम दिलाने के लिए सिफारिश तक कर रहे हैं जबकि रोजगार रोजगार गारंटी कानून को कड़ाई से लागू करने से वैश्विक महामारी के आर्थिक तंगी से जूझ रहे लोगों को एक बड़ी राहत दिलाई जा सकती है इसी तरह से सरकार और जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही सोनी चाहिए कि वे रोजगारों को शहरी क्षेत्र में भी रोजगार मिल सके इसकी व्यवस्था करनी चहिये ।
कुलदीप ने बताया कि देश में बेरोजगारी दर 8% हैं प्रति वर्ष 1 करोड़ 70 लाख लोग बेरोजगार की कतार पर खड़ा हो रहा हैं।बेरोजगारी आर्थिक तंगी से जूझ रहे लोगों की विषम स्थिति का मुकाबला मनरेगा के जरिये किया जा सकता है लेकिन सरकार ने बजट में मनरेगा के आबंटन में पिछले वर्ष के 98 हजार करोड़ रूपये अपेक्षा इस वर्ष 73 हजार करोड़ रूपये आबंटित किया है ।यानि मनरेगा में 25% की कटौती कर दिया गया , राज्य सरकार पर भी आरोप लगाते हुए कहा प्रदेश में मनरेगा में कार्य ठप्प पड़ा है मुश्किल से 50 दिन का काम दिया जा रहा है ।
कई कई महीने तक मजदूरी का भुगतान नही होता है इस समस्या का समाधान नही कर पा रही है । भुविस्थापित किसान नेता ने कहा कि हमारी संगठन कोयला उद्योग से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष प्रभावित परिवारों के रोजगार की मांग पर एसईसीएल प्रबन्धन और प्रशासन के साथ लगातार सँघर्ष कर रही है । अक्टूबर नवम्बर माह में हुई समझौते के तहत भुविस्थापित परिवारों के लिए रोजगार की वैकल्पिक व्यवस्था के मांग के अनुसार वर्तमान में भुविस्थापितों को प्राथमिकता दिया जा रहा है तथा ठेका कार्यो में भी आरक्षण लागू किया गया है कोल इंडिया पालिसी के कारण रोजगार से वंचित परिवारो को इससे लाभ मिलेगा ।
अभी युवा और महिलाओं के स्वरोजगार स्थापित करने के लिए भी प्रयास किया जा रहा है । इसी के साथ कोरबा जिले के ग्रामीण क्षेत्रो में साल में 150 दिन रोजगार देने,मनरेगा कानून के तहत समय पर मजदूरी भुगतान करने,टास्क रेट का पालन कर अतिरिक्त कार्य के अतिरिक्त मजदूरी का भुगतान करने की मांग पर अभियान चलाने का निर्णय लिया गया है ।