
नई दिल्ली। सुनकर-पढ़कर थोड़ा आश्चर्य तो होता है कि इतनी बड़ी संख्या में लोग आखिर सोना के एवज में लिए रकम चुका कैसे नहीं पाए। लेकिन पिछले दो साल की स्थिति को देखें तो लोगों की आर्थिक जरिया टूट गया है। कोरोना के चलते लोगों ने अपनी आवश्यकता के लिए सोना रखकर कर्जा लिया लेकिन स्थिति कुछ सुधरी नहीं हैं यही तो बता रहा है इतनी बड़ी संख्या में नीलामी। जबकि गोल्ड लोग अपने विषम परिस्थिति में काम आने के लिए ही रखते हैं। खैर..देश के एक लाख लोगों का सोना 16 फरवरी को नीलाम हो जायेगा।
संगठित गोल्ड लोन बाजार में आधे से अधिक हिस्सा गोल्ड लोन एनबीएफसी मुथूट फाइनेंस और मणप्पुरम फाइनेंस का है।गोल्ड लोन सोने के गहनों के बदले दिया जाता है। गहने की कीमत का करीब 70 फीसदी तक लोन मिलता है। इस मामले में कर्जधारक के लिए लोन मिलना जितना आसान है, उतना ही आसान कर्ज देने वाले के लिए इसकी वसूली है। डिफॉल्ट करने पर वह सोना बेचकर कर्ज वसूल लेते हैं। एनबीएफसी और बैंक हर महीने सोने की नीलामी करते हैं।
इस महीने के लिए अब तक डेढ़ दर्जन शहरों में नीलामी के 59 नोटिस जारी हुए हैं।गोल्ड लोन एक तरह का सिक्योर्ड लोन होता है। इसमें आपका सिबिल स्कोर मायने नहीं रखता। ये लोन पर्सनल लोन की तुलना में आसानी से और कम ब्याज पर मिल जाता है।इधर एक्सपर्ट का कहना है कि कोरोना काल में लाखों लोगों का रोजगार चला गया या उनका कारोबार चौपट हो गया। ऐसे लोगों ने सोना गिरवी रखकर लोन लिया, लेकिन चुका नहीं पा रहे हैं। यह यह ऐसी आर्थिक तंगी है जो दिखती नहीं है।
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़े बताते हैं कि कोरोनाकाल में देश में गोल्ड लोन का चलन तेजी से बढ़ा। जनवरी 2020 यानी कोविड से ठीक पहले देश के वाणिज्यिक बैंकों के कुल गोल्ड लोन का आकार 29,355 करोड़ रुपए था। यह दो साल में ढाई गुना होकर 70,871 करोड़ के पार हो गया, जो देश में बंटे कुल एजुकेशन लोन से अधिक है।देश की सबसे बड़ी गोल्ड लोन कंपनी मुथूट फाइनेंस का कुल लोन पोर्टफोलियो इस दौरान 39,096 करोड़ से बढ़कर 61,696 करोड़ हो गया है।