रायपुर: मंगलवार को अधिकारियों के साथ सीएम विष्णु देव साय ने अहम बैठक की. बैठक में सीएम ने सड़क पर बैठे रहने वाले आवारा मवेशियों को लेकर गहरी चिंता जताई. सीएम ने अधिकारियों से कहा कि वो आवारा मवेशी सड़क पर न बैठें इसकी व्यवस्था करें. आवार पशुओं के सड़कों पर पहुंचने और खुले में घूमने पर प्रभावि नियंत्रण लगाएं. सीएम ने कहा कि संबंधित अधिकारी इसको लेकर कार्रवाई करें और सुनिश्चित करें कि इस समस्या का स्थायी समाधान हो.
आवार मवेशियों पर बैठक में चर्चा: सीएम ने ये बैठक नवा रायपुर के राज्य सचिवालय में ली. बैठक की अध्यक्षता करते हुए विष्णु देव साय ने कहा कि आवारा और लावारिश मवेशी सड़क दुर्घटनाओं का सबब बन रहे हैं. बड़ी संख्या में मवेशी और लोग हादसे का शिकार बन रहे हैं. सीएम ने कहा कि जो भी संबंधित विभाग है वो इसपर त्वरित कार्रवाई करे. वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक सीएम ने पशुपालन विभाग, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, लोक निर्माण विभाग को आवारा मवेशियों की आवाजाही पर अंकुश लगाने के लिए आपसी समन्वय से काम करने और ज़िम्मेदारियाँ साझा करने का निर्देश दिया है.
यह एक गंभीर मुद्दा है जो शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों को प्रभावित कर रहा है. इसके समाधान में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी: विष्णु देव साय, सीएम
पशुधन प्रबंधन के लिए व्यावहारिक मॉडल: बैठक में मुख्यमंत्री ने राज्य भर में गौशालाओं, गोठानों और गायों को पकड़ने वाले वाहनों जैसे मौजूदा बुनियादी ढांचे के बारे में जानकारी ली सीएम ने वर्तमान परिचालन स्थिति, क्षमता और डेवलपमेंट की जरुरत चर्चा की. राजमार्गों पर बढ़ते जोखिमों पर बात करते हुए साय ने अधिकारियों से कहा कि सड़कों के किनारे स्थित गांवों में पशुधन प्रबंधन के लिए व्यावहारिक मॉडल विकसित किया जाए. मुख्यमंत्री ने कहा, “राजमार्गों पर आवारा मवेशी न केवल यातायात बाधित करते हैं, बल्कि अक्सर घातक दुर्घटनाओं का कारण भी बनते हैं। तत्काल और केंद्रित कार्रवाई ज़रूरी है”.
आवारा मवेशी सड़कों पर नहीं आने चाहिए: बैठक में सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़ों और ऐसी घटनाओं में आवारा पशुओं की भूमिका की समीक्षा भी शामिल थी. मुख्यमंत्री ने आवारा और परित्यक्त मवेशियों की उचित देखभाल, चारे की उपलब्धता और पुनर्वास सुनिश्चित करने के लिए योजनाबद्ध रणनीतियों की आवश्यकता पर भी चर्चा की. पशुधन विकास विभाग की सचिव शहला निगार ने राज्य भर में गोठानों, गौशालाओं और चल रहे पशुधन विकास के साथ-साथ संरक्षण योजनाओं की स्थिति पर बैठक में जानकारी दी गई.
ट्रैफिक व्यवस्था होती है चौपट: आवारा मवेशियों के सड़कों पर जमा होने और बैठने से सड़क जाम के हालत बन जाते हैं. आने जाने वाले लोगों को दिक्कतें होती हैं.
सड़क हादसों का बना रहता है खतरा: आवारा मवेशियों के सड़कों पर जमा होने से या फिर उनके सड़क पार होने से वाहन चालकों को दिक्कत होती है. मवेशियों के दौड़ने भागने से सड़क दुर्घटनाएं होती हैं. ड्राइवर का गाड़ी से नियंत्रण बिगड़ जाता है.
हाट बाजारों में जमा हो जाते हैं मवेशी: हाट बाजारों में मवेशियों की वजह से गंदगी तो बढ़ती ही है साथ ही सार्वजनिक स्थानों पर बीमारियों का भी खतरा बढ़ता है.
सुरक्षा संबंधी खतरा: पब्लिक प्लेस जैसे हाट बाजार या सब्जी मंडी इन जगहों पर आवारा मवेशियों का डेरा रहता है. कई बार आवारा मवेशी इंसानों पर जानलेवा हमला भी कर देते हैं. दो मवेशियों के बीच झड़प से भी आम लोगों को खतरा होता है.