राज्य सरकार ने आज छत्तीसगढ़ के सारे शहरी स्थानीय निकायों में एक माह-लंबे विशेष अभियान की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य आवारा मवेशियों (भटकते गाय-भैंस आदि) द्वारा सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाओं, ट्रैफिक बाधाओं व जन सुरक्षा-जोखिमों को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करना है। इस अभियान के तहत, पशु-पालकों को जागरूक किया जाएगा कि वे अपने पशुओं को खुला छोड़ने से बचें, और उन्हें नगर पालिकाओं द्वारा निर्धारित पशु पालन नियमों का पालन करना होगा। प्रशासन ने यह भी निर्देश दिए हैं कि आवारा पशु-सम्बंधित सूचना तुरंत मिल सके, इसलिए टोल-फ्री नंबर 1033 और निदान-1100 को व्यापक रूप से प्रचारित किया जा रहा है। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि शहरी क्षेत्रों में आवारा मवेशियों से होने वाली ट्रैफिक दुर्घटनाएँ तथा जाम की समस्या पिछले वर्षों में बढ़ी है, जिससे न सिर्फ सार्वजनिक सुविधा प्रभावित हो रही है बल्कि दुर्घटनाओं में वृद्धि देखी गई है। इस अभियान के दौरान नगर-प्लानिंग, पशु संरक्षण विभाग व स्थानीय पुलिस इकाइयां समन्वित रूप से काम करेंगी ताकि स्थिति नियंत्रित हो सके।यह पहल इसलिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि शानदार विकास-पूंजी देने वाले शहरी क्षेत्रों में आवारा पशुओं द्वारा सड़क उपयोगकर्ताओं, पैदल यात्रियों और वाहन चालकों को प्रतिदिन जोखिम का सामना करना पड़ता है। सरकार का लक्ष्य इस अभियान से न सिर्फ मॉनिटरिंग बढ़ाना है बल्कि पारदर्शी-प्रक्रियाओं के अलावा पशु-पालन व शहरी-प्रवासी समुदायों में जागरूकता बढ़ाना भी है।अभियान के दौरान नियत स्थानों पर पशु-सुरक्षा केंद्र स्थापित किए जाएंगे तथा खुली स्थिति वाले पशु-पालकों के खिलाफ निरीक्षण एवं आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। साथ ही नागरिकों से अपील की गई है कि वे पशु-तटस्थ मार्गों के समीप जाना व खुली अवस्था में विचरित पशुओं के पास से गुजरना बचें।






