भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने 4 नवंबर 2025 से शुरू होकर अगले कुछ दिन में अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह एवं आसपास के समुद्री क्षेत्रों में चक्रवात की संभावना को ध्यान में रखते हुए चेतावनी जारी की है। विभाग के अनुसार, बंगाल की खाड़ी के पूर्व-मध्य भाग तथा म्यांमार तट के पास एक निम्न दबाव क्षेत्र बन रहा है, जो तेजी से विकसित हो सकता है और समुद्री वातावरण में तीव्र हवा, ऊँचे समुद्री लहरों व भारी वर्षा ला सकता है। IMD के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह चक्रवाती परिस्थिति 4 नवंबर से लेकर कम-से-कम 6 नवंबर तक सक्रिय रहने की संभावना है, विशेषकर उन इलाकों में जहाँ समुद्र-पहला माहौल है और समुद्री यातायात अधिक है। उन्होंने मछुआरों, द्वीपों पर रहने वाले लोगों तथा समुद्री गतिविधियों में लगे उद्योगों को समय पूर्व सावधानी बरतने और आवश्यकता पड़ने पर सुरक्षित स्थानों पर जगह बदल लेने की सलाह दी है। अलर्ट में यह बात विशेष रूप से कही गई है कि चेतावनी वाले समुद्री क्षेत्रों में नाव चलाना, मत्स्य पालन के काम, टूर-बोट संचालन आदि को अस्थायी रूप से रोकने का सुझाव दिया गया है। साथ ही, द्वीपसमूह के प्रशासन को समुद्र-तट के समीप रहने वाले नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने के निर्देश दिए गए हैं। विभाग ने कहा है कि लोग मौसम अपडेट नियमित रूप से देखें तथा यदि कोई सायरन या आपात सूचना दी जाए तो तुरंत उसका अनुपालन करें।इस प्रक्रिया के पीछे वैज्ञानिक कारण यह है कि खाड़ी-क्षेत्र में मंगलवार तक बनी रही उत्तरी-पश्चिमी हवाएँ और समुद्र-तापमान में हल्की बढ़ोतरी ने इस निम्न दबाव क्षेत्र को ऊर्जा देने की स्थिति बना दी है। इसके कारण अचानक समुद्री वातावरण में उथल-पुथल आ सकती है। यह घटना उन क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण है जो पहले-पहले से बढ़ती हुई मानसूनी तथा पूर्व-मॉनसून की समाप्ति के बाद समुद्री गतिविधियों से जुड़े हुए हैं।समाचारों का कहना है कि इस चेतावनी के बीच, द्वीपसमूह का पर्यटन-खंड भी सतर्क हो गया है। कुछ टूर ऑपरेटरों ने पहले ही बोट ट्रिप रद्द कर दी हैं और यात्रियों को सुरक्षित उड़ानों व परिवहन इंतज़ाम की जानकारी दी गई है। स्थानीय प्रशासन ने तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों को कम-से-कम 1 किमी भीतर-अंदर रहने और पत्ते-छाँव वाले अस्थिर निर्माणों से दूरी बनाने का सुझाव दिया है।इस प्रकार, 4 नवंबर 2025 की यह खबर न सिर्फ़ मौसम विज्ञानीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि सुरक्षा-तंत्र, पर्यटन-उद्योग एवं समुद्र-वर्ती समुदायों के लिए चुनौतियों एवं तैयारियों को भी उजागर करती है। आने वाले दिनों में इस चक्रवाती प्रणाली के विकास-पथ पर निगरानी बनी हुई है और सरकार, मौसम विभाग तथा स्थानीय प्रशासन मिलकर संभावित प्रभावों से 대비 कर रहे हैं।






