नई दिल्ली : लोग अपना समय बचाने के लिए, अपनी सुविधा के लिए दोपहिया या चार पहिया जैसे वाहन खरीदते हैं। पर जैसे ही आप ये वाहन घर लाते हैं, तो आपकी कुछ जिम्मेदारी भी बनती है। जैसे- सड़क एवं यातायात के सभी नियमों का पालन करना। वरना आपका चालान कट सकता है और जरूरत पड़ने पर आपकी गाड़ी को सीज तक किया जा सकता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर आप किसी नाबालिग बच्चे को अपनी गाड़ी देते हैं तो क्या हो सकता है? शायद नहीं, क्योंकि आमतौर पर लोग इस तरफ ध्यान ही नहीं देते और अपने नाबालिग बच्चों को बाइक, स्कूटी और यहां तक कि कार भी चलाने देते हैं। ऐसे में आपके लिए ये जानना जरूरी हो जाता है कि अगर कोई नाबालिग ऐसा करता हुआ पाया जाता है, तो इसमें दंड़ का क्या प्रावधान है। तो चलिए जानते हैं इस बारे में…
क्या नाबालिग बच्चे कुछ चला सकते हैं?
जी हां, जो बच्चे 16 से 18 साल के बीच होते हैं, उन्हें विदआउट गेयर लाइसेंस जारी होता है। पर इसका मतलब ये नहीं कि आप स्कूटी चलाने लगे, जिसमें गेयर नहीं होते। दरअसल, विदआउट गेयर का मतलब होता है कि जो गाड़ी 50 सीसी से कम क्षमता वाली है, उसे 16-18 साल के बीच के बच्चे चला सकते हैं।
दंड क्या मिल सकता है?
मोटर वाहन संशोधित अधिनियम 2019 में कई प्रावधान हैं, जिनमें से एक नाबालिग के गाड़ी चलाने को लेकर भी है। अगर कोई नाबालिग कोई गाड़ी चलाता हुआ पकड़ा जाता है, तो ऐसे में उस गाड़ी का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जा सकता है।
रजिस्ट्रेशन के अलावा नाबालिग के अभिभावक और गाड़ी मालिक, दोनों के खिलाफ नियमों के तहत सख्त कार्रवाई भी हो सकती है। यही नहीं, अगर कोई नाबालिग विद गेयर दोपहिया या चार पहिया वाहन चलाता हुआ पकड़ा जाता है, तो ऐसे में ड्राइविंग कैटेगरी न मिलने को लेकर 5 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। हालांकि, राज्य सरकारें इसमें अलग से संशोधन कर सकती हैं।
लाइसेंस में हो सकती है देरी
अगर कोई नाबालिग विद गेयर गाड़ी चलाते हुए पकड़ा जाता है, तो उसका लाइसेंस 25 साल की आयु के बाद बनेगा। वैसे भारत में डीएल बनवाने की आधिकारिक उम्र 18 साल है।