नई दिल्ली : आश्विन शुक्ल पक्ष के नौ दिन मां दुर्गा की पूजा को समर्पित है। इस समय मां देवी के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती हैं
आश्विन शुक्ल पक्ष के नौ दिन मां दुर्गा की पूजा को समर्पित है। इस समय मां देवी के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती हैं, जिनमें शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धिदात्री माता का नाम शामिल है। इस साल 3 अक्तूबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है, जिसका समापन 11 अक्तूबर 2024 को नवमी के दिन होगा। वहीं 12 अक्तूबर को विजयदशमी का पर्व मनाया जाएगा। इस दौरान घर व पंडालों में मां दुर्गा की मूर्ति को स्थापित किया जाता है, जिसकी नौ दिनों तक विधि विधान से पूजा होती है। मान्यता है कि सच्चे मन से मां अंबे की पूजा करने से जातक को शुभ परिणामों की प्राप्ति होती हैं। इस दौरान आरती करना और भी लाभकारी होता है। इसे करने से साधक के यश और कीर्ति में वृद्धि होती है। ऐसे में आइए माता रानी की आरती के बारे में जानते हैं।
शुभ योग में शारदीय नवरात्रि, इस विधि से करें माता रानी की पूजा
मां दुर्गा की आरती
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
जय अम्बे गौरी
माँग सिन्दूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको॥
जय अम्बे गौरी
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै॥
जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी॥
जय अम्बे गौरी
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती॥
जय अम्बे गौरी
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
जय अम्बे गौरी
ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी।
आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी॥
जय अम्बे गौरी
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरूँ।
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु॥
जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता॥
जय अम्बे गौरी
भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी।
मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी॥
जय अम्बे गौरी
कन्चन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै॥
जय अम्बे गौरी