नई दिल्ली : हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर शिवरात्रि आती है लेकिन फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी बहुत ही खास मानी जाती है। आज देशभर में बड़े ही शुभ योग में महाशिवरात्रि मनाई जा रही है। हिंदू पंचांग के मुताबिक हर साल महाशिवरात्रि का त्योहार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। सनातन धर्म में महाशिवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व होता है। इस पर्व पर पूरे दिन व्रत रखते हुए शिव मंदिरों में जलाभिषेक और विशेष धार्मिक आयोजन होते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस तिथि पर भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था।
शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में अंतर
आज देशभर में बड़े उत्साह और भक्तिभाव से महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जा रहा है। हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि मनाई जाती है। इसे मासिक शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। इस तरह से एक वर्ष में 12 मासिक शिवरात्रि होती है। वहीं फाल्गुन माह में आने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। सभी शिवरात्रियों इसका महत्व सबसे ज्यादा होता है। इसे महाशिवरात्रि इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान भोलेनाथ ने वैराग्य त्यागकर देवी पार्वती से विवाह किया था।
भगवान भोलेनाथ को बेलपत्र बहुत ही प्रिय होता है। ऐसे में महाशिवरात्रि के मौके पर 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से ऊं नम: शिवाय लिखकर अपने मन में अपनी मनोकामना को बोलते हुए शिवलिंग पर एक-एक करके बेलपत्र चढ़ाएं, इससे आपकी सभी मनोकामनाएं भोलेनाथ पूर्ण करेंगे।
जल्द विवाह के लिए उपाय
यदि किसी के विवाह में अड़चन आ रही है तो महाशिवरात्रि के दिन से शुरू करके रोज शिवलिंग पर केसर मिला हुआ दूध चढ़ाएं, इससे जल्दी ही आपके विवाह के योग बन सकते हैं। इसके अलावा शिवलिंग पर लगातार कुछ दिनों तक इत्र अर्पित करें, ऐसा करने से भी जल्दी विवाह के योग बनेंगे।
महाशिवरात्रि पर करें ये उपाय, प्रसन्न होंगे भगवान भोलेनाथ
बीमारी दूर करने के लिए- महाशिवरात्रि के दिन शुद्ध जल में दूध, मिश्री व काले तिल डालकर शिवलिंग का अभिषेक करें। अभिषेक के लिए तांबे के बर्तन को छोड़कर किसी अन्य धातु के साफ़ बर्तन का उपयोग करें। अभिषेक करते समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके ऊं जूं स: मंत्र का जाप करते रहें। धार्मिक मान्यता के अनुसार ऐसा करने से बीमारी से छुटकारा मिलेगा।
हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा विशेष फलदायी होती है। महाशिवरात्रि पर व्रत रखते हुए विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना होती है। शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शक्कर, शहद, घी, भांग, पुष्प, धतूरा, चंदन, फल अर्पित किए जाते हैं। लेकिन कुछ पूजा सामग्री ऐसी है जिन्हें शिवलिंग पर अर्पित करना शास्त्रों में निषेध माना गया है। यहां
8 मार्च 2024 यानी आज महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जा रहा है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था और इस तिथि पर भोलेनाथ पृथ्वी के समस्त शिवलिंग में विराजमान होते हैं। महाशिवरात्रि के मौके पर अपने प्रियजनों और दोस्तों को महाशिवरात्रि की शुभकामना भेजें। महाशिवरात्रि शुभकामना संदेश…
हिंदू धर्म में शंख को बहुत ही पूजनीय माना गया है और सभी वैदिक कार्यों में शंख का विशेष स्थान है, लेकिन भगवान शिवजी की पूजा में शंख का प्रयोग करना वर्जित माना गया है। इसे जानने के लिए यहां पढ़ें- भगवान शिव की पूजा में क्यों वर्जित है शंख
महाशिवरात्रि पर कीजिए बाबा महाकाल के दर्शन
मेष: गाय के कच्चे दूध में शहद मिलाकर अभिषेक करें।
वृष: दही से अभिषेक। सफेद पुष्प, फल और वस्त्र चढ़ाएं।
मिथुन: गन्ने के रस से अभिषेक करें। धतूरा, पुष्प, भांग व हरा फल चढ़ाएं।
कर्क: दूध में शक्कर मिलाकर अभिषेक करें। सफेद वस्त्र, मिष्ठान्न व मदार का पुष्प चढ़ाएं।
सिंह: शहद या गुड़ मिश्रित जल से अभिषेक करें। लाल पुष्प, वस्त्र और रोली अर्पित करें।
कन्या: गन्ने के रस से अभिषेक करें। भांग, धतूरा, मदार का पत्र व पुष्प चढ़ाएं।
तुला: शहद से अभिषेक करें। भाग, मंदार पुष्प और सफेद वस्त्र चढ़ाएं।
वृश्चिक: शहद युक्त तीर्थ जल से अभिषेक करें। लाल पुष्प, फल और मिष्ठान चढ़ाएं।
धनु: गाय के दूध में केसर मिलाकर अभिषेक करें। पीला वस्त्र, फल, भांग व धतूरा चढ़ाएं।
मकर: गंगाजल या गन्ने के रस से अभिषेक करें। शमी पत्र, भांग, धतूरा चढ़ाएं।
कुंभ: गन्ने के रस से अभिषेक करें। दूर्वा, शमी, मंदार पुष्प चढ़ाएं।
मीन: केसर मिश्रित दूध से अभिषेक करें। हल्दी, केला और पीला पुष्प, फल व मिष्ठान चढ़ाएं।