नई दिल्ली : त्योहारी सीजन चल रहा है। दिवाली और छठ पूजा आने में अब महज कुछ ही दिन बचे हैं। दिवाली और छठ पूजा पर मिठाइयों की उपयोगिता काफी बढ़ जाती है। दिवाली के शुभ अवसर पर भगवान को मिठाई भी चढ़ाई जाती है। इसके अलावा इस दिन कई लोग अपने परिजनों को मिठाई देकर दीपावली की शुभकामनाएं देते हैं।
दिवाली और उससे पहले बाजारों में मिठाई की जमकर खरीदारी की जाती है। कई दुकानों पर रंग बिरंगी मिठाइयां बिकती हैं। वहीं क्या आपको इस बारे में पता है कि इन दिनों बाजार में मिलावटी मिठाइयों की बिक्री काफी तेजी से हो रही है। इन मिठाइयों का सेवन करने पर आपको स्वास्थ्य से जुड़ी कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। अगर आप भी दिवाली पर बाजार में मिठाइयां खरीदने जा रहे हैं तो आज हम आपको उन तरीकों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनकी मदद से आप उसमें की गई मिलावट का पता कर सकते हैं। आइए जानते हैं –
सिंथेटिक दूध, स्टार्च यानी अरारोट का इस्तेमाल करके रेडिमेड रसगुल्ला बनाया जाता है। इसके अलावा नकली मिल्क केक को सिंथेटिक दूध, सूजी, गीले ग्लूकोज से बनाया जाता है। इसके अलावा सिंथेटिक दूध, सूजी, आलू, शकरकंद, तेल व रंगों का इस्तेमाल करके मिलावटी मावा को तैयार किया जाता है।
आप आसानी से असली और नकली मिठाइयों की पहचान कर सकते हैं। इसके लिए आपको दो अलग-अलग मिठाइयों का सैंपल लेना है। इसके बाद दोनों को अलग-अलग बर्तनों में रखकर गर्म पानी डालना है।
नेक्स्ट स्टेप पर आपको दोनों बर्तनों में आयोडीन डालना है। अगर किसी गर्म पानी वाले बर्तन में मिठाई रंग बदलती है तो इस बात की बड़ी संभावना है कि उसमें मिलावट की गई है। अगर रंग में कोई बदलाव नहीं होता है तो मिठाई में मिलावट नहीं की गई है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि खाद्य सुरक्षा मानक कानून 2006 के तहत अगर कोई दुकानदार मिलावटी खाद्य सामग्री को बेचता है तो उसकी बिक्री करने पर सेक्शन 59 के अंतर्गत 7 साल तक का कारावास हो सकता है। इसके अलावा व्यापारी पर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।