इलाहाबाद : पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने देश की खुफिया एजेंसी- आईएसआई के पूर्व महानिदेशक को नोटिस भेजा है। शीर्ष अदालत ने आईएसआई डीजी से पांच साल पुराने मुकदमे में जवाब तलब किया है। इस मामले से हाईकोर्ट जज का नाम भी जुड़ा है।
इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को बर्खास्त करने के मामले में पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस भेजा है। 2018 के इस मामले में पूर्व आईएसआई महानिदेशक को नोटिस जारी किया गया है। शुक्रवार को पूर्व आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद को अदालत के समक्ष जवाब दाखिल करने को कहा गया है। बर्खास्त न्यायाधीश की तरफ से दायर याचिका में पूर्व सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा को भी नोटिस भेजने की अपील की गई थी, लेकिन देश की शीर्ष अदालत ने इस अपील को ठुकरा दिया।
पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश काजी फैज ईसा के नेतृत्व वाली अदालत की पांच सदस्यीय पीठ ने पूर्व आईएसआई चीफ हमीद समेत तीन लोगों को नोटिस जारी किया। अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया सेना प्रमुख बाजवा का इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है।
पूर्व हाईकोर्ट जस्टिस सिद्दीकी ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान बाजवा, हमीद और चार अन्य को मामले में पक्षकार बनाने की अपील की थी। जिन लोगों को नोटिस जारी किया गया उनमें पूर्व ब्रिगेडियर इरफान रामे और फैसल मारवत, हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस अनवर कासी और हाईकोर्ट के पूर्व रजिस्ट्रार अरबाब आरिफ शामिल हैं।
पाकिस्तान की शीर्ष अदालत ने रामे, कासी और आरिफ को भी नोटिस जारी करने से भी इनकार कर साफ किया कि उनका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिद्दीकी को उन लोगों को मामले में प्रतिवादी बनाना चाहिए, जिनके बारे में उन्होंने न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप का दाव कर आरोप लगाए हैं। कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख तय किए बिना सुनवाई स्थगित कर दी।
बता दें कि साल 2018 में इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश शौकत अजीज सिद्दीकी को बर्खास्त किया गया था। तत्कालीन राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के आदेश पर 2018 में बर्खास्त किए गए जस्टिस शौकत अजीज सिद्दीकी पर आईएसआई के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के आरोप हैं। उच्च-स्तरीय संवैधानिक निकाय ने जस्टिस शौकत को हटाने की सिफारिश की थी।
खबरों के अनुसार, पूर्व न्यायाधीश शौकत अजीज सिद्दीकी ने 21 जुलाई, 2018 को रावलपिंडी जिला बार एसोसिएशन में दिए भाषण में आईएसआई पर न्यायिक कार्यवाही में हेरफेर करने का आरोप लगाया था। सिद्दीकी का आरोप था कि आईएसआई अपने मनमुताबिक फैसले कराने के लिए न्यायाधीशों का पैनल गठित कराने की ताक में थी।
बता दें कि लेफ्टिनेंट जनरल हमीद 2019 और 2021 के बीच आईएसआई के महानिदेशक थे। उन्होंने जनवरी 2017 से अप्रैल 2019 तक आईएसआई के काउंटर इंटेलिजेंस विंग के प्रमुख का पदभार भी संभाला। इसी अवधि में जस्टिस सिद्दीकी को 2018 में बर्खास्त कर दिया गया था। उन्होंने पद से हटाए जाने को चुनौती दी, लेकिन सुनवाई में देरी हुई। इस मामले की सुनवाई आखिरी बार जून 2022 में हुई थी। अक्टूबर 2018 से लंबित मुकदमे पर सुनवाई शुरू करने के लिए उन्होंने इसी साल नवंबर में आवेदन दायर किया। मूल याचिका में जस्टिस सिद्दीकी ने उनके खिलाफ जारी बर्खास्तगी अधिसूचना को रद्द करने का अनुरोध भी किया है।