रायपुर। औद्योगिक क्षेत्र में तेजी से उभर रही फॉर्चून टीएमटी कंपनी केवल व्यापार नहीं, बल्कि समाज सेवा में भी अपना मजबूत योगदान दे रही है। आसपास के गांवों के लोग इस कंपनी को किसी वरदान से कम नहीं मानते। इसकी वजह है – कंपनी के डायरेक्टर सौरभ बंसल और सीईओ की जनहितैषी सोच, जो न सिर्फ कर्मचारियों के लिए, बल्कि ग्रामीण समुदायों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन चुकी है।
सौरभ बंसल की दूरदृष्टि: लाभ नहीं, सामाजिक विकास प्राथमिकता
डायरेक्टर सौरभ बंसल का मानना है कि किसी भी कंपनी की असली सफलता तभी है जब वह समाज को भी साथ लेकर चले। “हमारा मकसद केवल मुनाफा कमाना नहीं, बल्कि समाज को आत्मनिर्भर और जागरूक बनाना है,” – उन्होंने कई मौकों पर कहा है। यही सोच आज फॉर्चून को एक अलग पहचान दिला रही है।
सीईओ की सराहनीय सोच: कर्मचारियों और समाज, दोनों का ख्याल
कंपनी के सीईओ भी समाज के प्रति अत्यंत संवेदनशील हैं। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कई बार व्यक्तिगत रूप से सहायता की है – फिर चाहे वह बेटियों की शादी में मदद हो, किसी की बीमारी का इलाज या बच्चों की शिक्षा के लिए जरूरी संसाधन।
“जब हमारी आर्थिक स्थिति कमजोर थी, तब फॉर्चून कंपनी और उसके सीईओ ने हमारी बिटिया की शादी में मदद की। उनके सहयोग से हम आज भी सम्मान से जी पा रहे हैं,” – ऐसा कहना है ग्राम बोरियाखुर्द के निवासी हरिलाल साहू का।
शिक्षा, तकनीक और पर्यावरण पर विशेष ध्यान
ग्रामीण बच्चों के लिए फॉर्चून द्वारा कंप्यूटर शिक्षा की शुरुआत की गई है। टीचर डे जैसे अवसरों पर स्पेशल टीचर्स भेजे जाते हैं, जो बच्चों को तकनीकी ज्ञान देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा देते हैं। साथ ही ‘एक पेड़ मां के नाम’ जैसी मुहिम के तहत वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी कंपनी लगातार कार्य कर रही है।
कर्मचारियों के लिए आदर्श कंपनी
फॉर्चून टीएमटी अपने कर्मचारियों को त्योहारों पर तोहफे, बोनस, मेडिकल सुविधा और स्वच्छ, हरियाली से भरपूर कार्यस्थल उपलब्ध कराती है। यही वजह है कि यहां काम करने वाले कर्मचारी कंपनी को सिर्फ नौकरी का स्थान नहीं, बल्कि “परिवार” की तरह मानते हैं।
समाज के साथ बढ़ती कंपनी की छवि
डायरेक्टर सौरभ बंसल और सीईओ की संयुक्त सोच ने यह सिद्ध कर दिया है कि जब नेतृत्व सकारात्मक होता है, तो उसका असर सिर्फ कंपनी पर नहीं, बल्कि पूरे समाज पर दिखाई देता है। फॉर्चून टीएमटी आज न सिर्फ एक सफल उद्योग है, बल्कि एक सामाजिक शक्ति के रूप में भी उभरकर सामने आया है।