आज, भारत ने COP30 सम्मेलन में अपने बायोफ्यूल blending के प्रयासों को वैश्विक मंच पर उभारा — देश ने बताया कि उसने पहले ही अनिवार्य रूप से 20 % ethanol-इंधन मिश्रण का लक्ष्य पांच साल पहले ही पूरा कर लिया है। भारत ने इस अवसर पर यह भी कहा कि आने वाले वर्षों में बायोफ्यूल के उपयोग को बढ़ावा देने से न सिर्फ जीवाश्म-इंधन पर निर्भरता कम होगी बल्कि कृषि-आवश्यकों को नए अवसर भी मिलेंगे। लेकिन साथ ही सरकार ने यह स्पष्ट किया कि इस प्रक्रिया में पारिस्थितिक एवं आर्थिक संतुलन बनाए रखना होगा, क्योंकि ‘अनियंत्रित’ बायोफ्यूल उत्पादन से कृषि-प्राथमिकताओं पर असर पड़ सकता है।यह कदम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि:भारत जैसे बड़े उपभोक्ता देश में जब बायोफ्यूल को उन्नत तरीके से अपनाया जाए, तो वैश्विक कार्बन-उत्सर्जन में मार पड़ सकती है।किसानों के लिए नए विकल्प खुलते हैं — कृषि अवशेष का उपयोग बायो-इंधन उत्पादन में हो सकता है।हालांकि, आम वाहनधारकों और पुराने इंजन वाले वाहनों के लिए इस मिश्रण के असर (माइलेज में कमी, इंजन समस्या) की आशंका बनी हुई है।





