नई दिल्ली : कार्मिक मंत्रालय द्वारा जारी संशोधित नियमों के अनुसार, सरोगेट के साथ ही अधिष्ठाता मां को मातृत्व अवकाश का अधिकार है। नियम के मुताबिक, महिला कर्मचारी के दो से कम जीवित बच्चे होने चाहिए।
महिला कर्मचारियों को मां बनने पर दफ्तर की तरफ से छह महीने का मातृत्व अवकाश मिलता है। अब ये सुविधा सेरोगेसी से मां बनने वाली सरकारी महिला कर्मचारियों को भी मिल सकेगी। केंद्र सरकार ने मातृत्व अवकाश को लेकर लागू 50 साल पुराने नियम में संशोधन किया है। बता दें कि इसके पहले बच्चे को जन्म देने वाली मां को 6 महीने का मातृत्व अवकाश मिलता था। नियम में संशोधन होने से सरोगेसी से मां बनी महिलाओं को भी लाभ मिल सकेगा। आइए जानते हैं मातृत्व अवकाश का संशोधित नियम क्या कहता है।
क्या होता है सरोगेसी
सेरोगेसी का मतलब किराए पर ली गई कोख के जरिए बच्चे को जन्म देना है। शाहरुख खान और गौरी खान के छोटे बेटे अबराम, प्रियंका चोपड़ा और निक जोनस की बेटी मालती जोनस समेत कई सेलिब्रिटीज सरोगेसी को अपना चुके हैं।
क्या हैं सरोगेसी पर मैटरनिटी लीव पर नियम
केंद्रीय सिविल सेवा नियमावली 1972 में केंद्र सरकार ने हाल ही बदलाव किए हैं। नए बदलावों और नियम के मुताबिक, ऐसी महिला जो सरोगेसी के जरिए मां बन रही हैं, वह अपने बच्चे की देखभाल के लिए मैटरनिटी लीव ले सकती हैं।
इसके साथ ही पिता के लिए भी यह नियम लागू है। ऐसे पुरुष कर्मचारी जो सरोगेसी से पिता बने हैं, उन्हें बच्चे के जन्म की तारीख से 6 माह के भीतर 15 दिन का पितृत्व अवकाश मिल सकता है। इस तरह का नियम एकल पुरुष सरकारी कर्मचारियों के लिए राहतपूर्ण हो सकता है।
मातृत्व अवकाश के नियम
कार्मिक मंत्रालय द्वारा जारी संशोधित नियमों के अनुसार, सरोगेट के साथ ही अधिष्ठाता मां को मातृत्व अवकाश का अधिकार है। नियम के मुताबिक, महिला कर्मचारी के दो से कम जीवित बच्चे होने चाहिए। सरकारी सेवा में होने की स्थिति में 180 दिन का मातृत्व अवकाश दिया जा सकता है। वहीं पहले के नियम के मुताबिक, चाइल्ड केयर लीव यानी शिशु देखभाल अवकाश के अंतर्गत बच्चे की देखभाल जैसे शिक्षा, बीमारी आदि के लिए सेवाकाल में अधिकतम 730 दिन का अवकाश मिल सकता है।