हैदराबाद: सनातन धर्म में सभी त्योहार महत्वपूर्ण हैं, लेकिन होली का अपना ही विशेष महत्व है. इस दिन क्या अमीर, क्या गरीब सभी लोग सब कुछ भूलकर रंग खेलते हैं. वहीं, इस त्योहार को मनाने के पहले होलाष्टक आता है, जो करीब 8 दिन पहले शुरू होता है. आइये जानते हैं क्या है होलाष्टक (Holashtak 2025) और इसको मनाने के क्या नियम हैं.
लखनऊ के ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र ने इस बारे मे बताया कि होलाष्टक की शुरुआत होली के त्योहार से 8 दिन पहले होती है. वहीं, इसका समापन होलिका दहन (Holika Dahan) वाले दिन होता है. उन्होंने बताया कि इस दौरान किसी भी प्रकार के शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है. ज्योतिषाचार्य ने कहा कि इस बार होलाष्टक 7 मार्च से शुरू हो रहा है और इसका समापन 13 मार्च को होलिका दहन के साथ होगा.जानिए कब मनाई जाएगी होलीडॉ. उमाशंकर मिश्र के मुताबिक होली का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है
. पूर्णिमा की शुरुआत गुरुवार 13 मार्च को सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर होगी और समाप्त अगले दिन शुक्रवार 14 मार्च 2025 को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर होगी. हिंदू धर्म में हर त्योहार उदयातिथि को लेकर मनाया जाता है, इस वजह से रंगों की होली 14 मार्च को खेली जाएगी. वहीं, होलिका दहन 13 मार्च को रात 10:45 से लेकर देर रात करीब 1:30 मिनट के बीच होगा
.होलाष्टक पर नहीं होते शुभ कार्यज्योतिषाचार्य के मुताबिक होलाष्टक पर किसी भी प्रकार के शुभ कार्यों को नहीं किया जाता. ऐसी मान्यता है कि अगर कोई शुभ कार्य किया जाता है तो उसके शुभ परिणाम नहीं मिलते.इन कार्यों को करने से बचना चाहिएमांगलिक कार्यमुंडन या कर्णछेदनामकरणअन्नप्रशासनगृह प्रवेशविद्यारंभ संस्कारवेदारंभयज्ञोपवीतअंतिम संस्कारइन कार्यो को करेंजप और तप करना शुभ माना जाता है.हनुमान चालीसा और भगवान शिव के मंत्रों का जापगरीबों को दान देनापितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पणग्रह शांति करवाना