कटक: ओडिशा के कटक के रेकी मिशन में केमिकल रंगों की बजाय फूलों की जमकर होली खेली गई. प्यार और एकता के इस त्योहार में लोगों ने बड़े उत्साह के साथ होली मनाई और भाईचारा और एकता का संदेश दिया.गौर करें तो कटक के रेकी मिशन में अनोखे तरीके से होली मनाने की परंपरा रही है. इस दौरान लोग मिशन के संत के चरणों में फूल न्योछावर करते हैं. तरह-तरह के होली के गीत गाए जाते हैं. नृत्य करते वक्त वहां का दृश्य बड़ा ही मनोहारी होता है. यहां रासायनिक कलर की बजाय लोग फूलों की होली खेलते हैं. ये परंपरा बीते 25 सालों से यहां पर चल रही है. साथ ही इस समारोह में लोग इकट्ठे होकर भाईचारा का संदेश भी देते हैं.
रेकी मिशन के श्रीसंत कहते हैं कि इस तरह से होली का त्योहार मनाने का मकसद ये है कि समाज में ये संदेश जाए कि हानिकारक रंगों की बजाय फूलों की होली खेलनी चाहिए. भाईचारे के इस त्योहार होली पर फूलों से सराबोर होने से किसी भी तरह से शरीर को नुकसान नहीं पहुंचता है. इस त्योहार पर फूलों की होली खेलकर लोग सबके बीच एकता का संदेश देते हैं.होली में फूलों से सराबोर होकर त्योहार मनाने को लेकर श्रीसंत कहते हैं कि रसायनिक रंगों से होली खेलने पर त्वचा को काफी नुकसान होता है. स्किन संबंधी बीमारियां भी लग जाती हैं. वहीं फूल नेचुरल होते हैं. ये मानव शरीर को किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं.
इसके साथ ही होली के सीजन में फूलों की कमी नहीं होती है. हर जगह तरह-तरह के रंग-बिरंगेे फूल पाए जाते हैं. इस समय पलाश के फूलों की भरमार रहती है.वो कहते हैं कि होली में अधिकतर मात्रा में ऑरेंज कलर का इस्तेमाल किया जाता है. पलाश के फूलों के अलावा लोकल स्तर पर उपजाए गए या नेचुरल तरीके से पाए जाने वाले फूलों को ही यूज किया जाता है. श्रीसंत ये बताते हैं कि मनुष्य शरीर को एक ही नहीं 7 तरह के रंगों की दरकार होती है. इसलिए यहां पर होली के दौरान तरह-तरह के फूलों को उपयोग में लाया जाता है और जमकर होली खेली जाती है.होली के दौरान केमिकल रंगों वाली होली खेलने के सख्त विरोधी श्रीसंत कहते हैं कि इन रंगों के प्रयोग से कलर में मौजूद रसायन से त्वचा को भारी नुकसान होता है. ऐसे में इस तरह के रंगों का होली के दौरान इस्तेमाल नहीं होना चाहिए.
बता दें कि कटक के रेकी मिशन में फूलों की होली मनाने की परंपरा साल 2000 में शुरू हुई थी. इस दौरान मिशन परिसर में ना सिर्फ होली खेली जाती है, बल्कि सांस्कृतिक प्रोग्राम भी आयोजित किए जाते हैं. इस समारोह में दक्षसीया नृत्य और पाला नाम का नाटक किया जाता है.कटक के रहने वाले मोहा कहते हैं कि होली के दिन यहां हम सब इकट्ठे होकर ना सिर्फ होली खेलते हैं, बल्कि भाईचारा और एकता का भी संदेश देते हैं. यहां हम सब अनेकता में एकता का संदेश देेते हैं. वो कहते हैं कि होली के दौरान हर जगह रासायनिक रंगों का इस्मेमाल हो रहा है. ये कलर ना सिर्फ त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि इनसे आँखों को भी नुकसान का खतरा रहता है.