रायपुर : प्रदेश भर में प्रचार पर निकले सीएम भूपेश के साथ हवाई सफर किया आईबीसी24 के एडिटर-इन-चीफ रविकांत मित्तल ने। इस दौरान सीएम बघेल से उन्होंने अलग-अलग विषयों पर विस्तार से चर्चा भी की। चूंकि यह चुनाव प्रदेश के कृषि कर्जमाफी जैसी बड़ी घोषणाओं पर केंद्रित हो चुका है लिहाजा किसानों को लेकर उनसे विस्तार से चर्चा हुई। इस चर्चा में सीएम ने प्रदेश में कृषि और कृषकों के हालात, फसल उत्पादन, कर्जमाफी, सिंचाई, कृषि की चुनौती, बढ़ते रकबा और बढ़ती आय के साथ ही कृषि से जुड़े हर विषय पर बेबाकी से जवाब दिया।
प्रदेश में किसानों को लेकर नीति और उन नीतियों के बल पर फिर से सत्ता में वापसी के सवाल पर सीएम ने कहा कि छत्तीसगढ़ किसानों का प्रदेश है, मजदूरों का प्रदेश है। किसानों की मजबूती से छत्तीसगढ़ भी मजबूत होगा। आज प्रदेश में धान, मक्का, गन्ना और मिलेट्स की सबसे ज्यादा कीमत छत्तीसगढ़ में ही है। प्रदेश के किसानों को और आम लोगों को कृषि के माध्यम से आर्थिक तौर पर मजबूत बनाना सबसे ज्यादा जरूरी है। कांग्रेस ने ये सभी काम किये है तो एक माहौल बना है कि आज प्रदेश का किसान कांग्रेस के साथ है।
किसानों की तरफ से इस बार कोई विशेष मांग नहीं होने के बावजूद धान खरीदी में इजाफा और कर्जमाफी जैसे बड़े फैसले लिए गए। इसके पीछे की वजहों पर चर्चा करते हुए सीएम ने बताया कि वे लगातार भेंट-मुलाक़ात कार्यक्रमों में गए और किसानों से संवाद किया। वहां उन्होंने बताया कि उनकी उपज बढ़ गई है, इसलिए हमने 15 से 20 क्विंटल धान खरीदने का एलान किया। किसानो की मांग कर्जमाफी की भी थी तो हमने वह भी किया। आज किसान के जेब में पैसा जाएगा तो मजदूर के जेब में पैसा, व्यापारी के जेब में पैसा आएगा। इस तरह पूरे प्रदेश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।
सीएम ने प्रदेश में धान के साथ-साथ मिलेट्स यानी कोदो, कुटकी जैसे फसलों के उत्पादन में हुई बढ़ोत्तरी पर भी रविकांत मित्तल से चर्चा की। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 44 प्रतिशत भूमि क्षेत्र वन्य है, ऐसे में यहाँ बड़े बाँध का निर्माण नहीं कराया जा सकता। सरकार ने इसके लिए नरवा-घुरुवा जैसी योजनाओं का सहारा लेते हुए उन्हें रिचार्ज करने की दिशा में कदम बढ़ाया। इसका फायदा यह हुआ कि आज मिलेट्स के उत्पादन में भारी वृद्धि हुई है। इसी तरह धान के फसल का उत्पान जहाँ पहले 69 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में होता था आज यह रकबा 1 लाख 69 लाख तक जा पहुंचा है। इसका फायदा यह हुआ कि डॉ रमन सिंह के कार्यकाल 55 – 56 लाख मीट्रिक टन धन की खरीद होती थी वह अब 107 लाख मीट्रिक टन तक जा पहुंची है।