नई दिल्ली : इस बदलते दौर में भारत में बकरीपालन व्यवसाय तेजी से उभर रहा है। आज कई किसान खेती किसानी के साथ-साथ बकरी पालन करके भी अच्छा मुनाफा कमा रहे है। दरअसल, बाजार में बकरी की डिमांड सबसे अधिक इसके मांस व दूध की होती है। वही अगर देखा जाए तो आज के ज्यादातर किसान व पशुपालक बकरी पालन परंपरागत तरीकों से कर रहे हैं।
जिससे उन्हें बकरियों Goat Farming Tips के बारे में अधिक जानकारी नहीं रहती है ओर वह ज्यादा मुनाफा नही कमा पाते है। ऐसे में आज हम आपको चौपाल समाचार के इस आर्टिकल के माध्यम से बताने वाले है कि, व्यवसायिक बकरीपालन से किस तरह अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। आइए वैज्ञानिक विधि से व्यवसायिक बकरी पालन के बारे में विस्तार से जानते हैं…
बकरीपालन के लिए करें अच्छी नस्ल का चुनाव
सबसे पहले तो, बकरी शुद्ध नस्ल की एवं शारीरिक रूप से स्वस्थ होनी चाहिए। साथ ही नस्ल के अनुरूप काठी व ऊंचाई-लम्बाई अच्छी नस्ल चाहिए। दूध की मात्रा एवं दुग्ध काल अच्छा होना चाहिए। इसके अलावा बकरी की प्रजनन क्षमता अच्छी हो।
व्यवसायिक बकरी पालन के लिए पोषण प्रबंधन :
नवजात बच्चों को पैदा होने के आधे घंटे के अन्दर खीस पिलायें। इससे उन्हें जीवन भर रोग प्रतिरोधक क्षमता प्राप्त होती है।
बच्चों को 15 दिन का होने पर हरा चारा एवं रातब मिश्रण खिलाना आरंभ करें तथा 3 माह का होने पर मां का दूध पिलाना बंद कर दें।
दूध देने वाली, गर्भवती बकरियों एवं बच्चों को 200 से 350 ग्राम प्रतिदिन रातब मिश्रण दें।
वयस्क बकरियों एवं प्रजनन के लिये पाले जाने वाले नरों में ऊर्जा युक्त अवयवों की मात्रा लगभग 70% होनी चाहिए। पोषण में खनिजों एवं लवणों को नियमित रूप से शामिल रखें।
हरे चारे के साथ सूखा चारा अवश्य दें। अचानक आहार व्यवस्था में बदलाव न करें एवं अधिक मात्रा में हरा एवं गीला चारा न दें।
जिन बकरियों का दूध उत्पादन लगभग 500 मि.ली. /दिन हो उन्हें 250 ग्राम, एक लीटर दूध पर 500 ग्राम रातब मिश्रण दें। इसके उपरान्त प्रति एक लीटर अतिरिक्त दूध पर 500 ग्राम अतिरिक्त रातब मिश्रण देवें।
मांस उत्पादन के लिये नर बच्चों को 3 से 9 माह की उम्र तक शरीर भार का 2-5 से 3% तक समुचित मात्रा में ऊर्जा एवं प्रोटीन अवयव युक्त रातब मिश्रण देवें. इस रातब मिश्रण में ऊर्जा की मात्रा लगभग 60% एवं प्रोटीन युक्त अवयव लगभग 37%, खनिज मिश्रण 2% एवं नमक 1% होना चाहिए।
व्यवसायिक बकरी पालन के लिए आवास प्रबंधन :
पशु गृह व्यवस्था :- पशु गृह में पर्याप्त मात्रा में धूप, हवा एवं खुली जगह हो, सर्दियों में ठंड से एवं बरसात में बौछार से बचाने की व्यवस्था करें, पशु गृह को साफ एवं स्वच्छ रखें।
एक वयस्क बकरी को 3-4 वर्ग मीटर खुला एवं 1-2 वर्ग मीटर के क्षेत्रफल की आवश्यकता होती है।
अल्प आयु मेमनों, गर्भित बकरियों एवं प्रजनक बकरे की अलग आवास व्यवस्था करें।
ब्यांत के बाद बकरी तथा उसके मेमनों को एक सप्ताह तक साथ रखें।
अल्प आयु मेमनों को सीधे मिट्टी के सम्पर्क में आने से बचने के लिए फर्श पर सूखी घास या पुआल बिछा दें तथा उसे तीसरे दिन बदलते रहें। वर्षा ऋतु से पूर्व एवं बाद में फर्श के ऊपरी सतह की 6 इंच मिट्टी बदल दें। –
बकरी पालन के लिए स्वास्थ्य प्रबंधन
वर्षा ऋतु से पहले एवं बाद में कृमि नाशक दवा पिलायें।
रोग निरोधक टीके समय से अवश्य लगवायें।
बीमार पशुओं को छटनी कर स्वस्थ पशुओं से अलग रखें एवं तुरंत उपचार कराएं।
आवश्यकतानुसार बाह्य परजीवी के उपचार के लिए ब्यूटाक्स के घोल से स्नान करायें।
बकरियों को पशु हाट बाजार में कब बेचें
किसानों व पशुपालकों को बकरी को उनके शरीर के भार के अनुसार ही बेचें। वहीं, मांस उत्पादन के लिए पाले गये नरों को लगभग 1 वर्ष की उम्र पर बेच दें। इसके उपरान्त शारीरिक भार वृद्धि बहुत कम एवं पोषण खर्च अधिक रहता है। बकरी पालक संगठित होकर उचित भाव पर बकरियों को बेचें। अगर आप बकरियों को किसी विशेष त्यौहार जैसे कि- ईद, दुर्गा पूजा आदि के समय बेचते हैं, तो इससे आपको अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं।