हैदराबाद: वास्तु शास्त्र भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग है जो घर और कार्यस्थल में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को सुनिश्चित करने पर केंद्रित है. इस प्राचीन विज्ञान में, शीशे (दर्पण) का एक महत्वपूर्ण स्थान है, जो घर में समृद्धि, खुशियों और सकारात्मकता को प्रभावित करते हैं. लखनऊ के ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र के अनुसार, शीशे की सही दिशा न केवल घर में बल्कि ऑफिस और फैक्ट्री में भी सकारात्मक बदलाव ला सकती है, जबकि गलत दिशा दोष उत्पन्न कर सकती है.कैसे सही दिशा में लगा शीशा व्यवसाय और जीवन में लाता है समृद्धि?
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, यदि शीशा सही दिशा और सही स्थिति में लगाया जाए तो यह व्यवसाय में मुनाफा और मान-सम्मान बढ़ाता है. यह घर की आर्थिक तंगी को दूर करने में भी सहायक होता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है.शीशे लगाने के लिए वास्तु के कुछ महत्वपूर्ण नियम.
दिशा: शीशे को हमेशा पूर्व या उत्तर की दीवार पर इस तरह लगाना चाहिए कि देखने वाले का चेहरा पूर्व या उत्तर की ओर रहे. यह दिशा सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है और उन्नति के मार्ग खोलती है.
आकार: अपना चेहरा देखने के लिए गोल शीशे का इस्तेमाल करना लाभदायक होता है. गोल आकार सकारात्मक ऊर्जा को संतुलित करने में मदद करता है.
शयनकक्ष (Bedroom) में शीशे: बेडरूम में सिर्फ उत्तर या पूर्व दिशा की दीवार पर ही शीशा लगाना चाहिए. बिस्तर के ठीक सामने आइना लगाना अशुभ माना जाता है, क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकता है और रिश्तों में तनाव पैदा कर सकता है.
सामने-सामने शीशे: कमरे के दीवारों पर आमने-सामने शीशा नहीं लगाना चाहिए. इससे घर में कलह उत्पन्न होने की आशंका रहती है और नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ता है.
शीशा का दराज (Mirror Drawer): शीशे का दराज शुभ माना गया है. ऐसा माना जाता है कि इससे घर में धन-संपत्ति दिन-दूनी और रात चौगुनी बढ़ती है.