कोरबा:- ऊर्जाधानी कोरबा को वैसे तो बिजली उत्पादन, कोयला, धूल और प्रदूषण के लिए जाना जाता है. लेकिन जब आप इसी कोरबा जिले के कॉफी प्वाइंट आएंगे तब कोरबा जिले की ये पारंपरिक छवि टूट जाएगी. एक तरफ जहां कोरबा में बड़ी-बड़ी कोयला खदाने हैं, तो दूसरी तरफ कॉफी प्वाइंट जैसे सुकून का एहसास करने वाले जगह भी हैं. जो मानसून के मौसम में इतने सुंदर हो जाते हैं कि वापस लौटने का आपका मन नहीं होगा. यहां के नजारा आपको ऊटी जैसे मशहूर हिल स्टेशन की याद दिलाएगा. पहाड़ों पर उतरे बादल, घना जंगल और हरियाली आपको प्रकृति के करीब ले जाएंगे. यह खूबसूरत पर्यटन स्थल कोरबा जिला मुख्यालय से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
‘कोरबा का ऊटी’: सैलानियों के इंतजार में गुलजार रहने वाला ये कॉफी प्वाइंट स्थानीय और बाहरी पर्यटकों के लिए बेस्ट टूरिस्ट प्लेस बनता जा रहा है. कम मशहूर होने के बावजूद कॉफी पॉइंट सैलानियों से गुलजार है. ऊँचे पहाड़ों और हरी-भरी प्राकृतिक वादियों से घिरा कॉफी प्वाइंट लोगों को देश के प्रसिद्ध हिल स्टेशनों शिमला, मनाली और ऊटी का एहसास कराता है. जहां शहर की भाग दौड़ भरी दिनचर्या से दूर प्रकृति के बीच लोग सुकून का अनुभव करते हैं.
घुमावदार घाटी वाले रास्ते: कॉफी प्वाइंट तक पहुंचने के लिए कोरबा से बालको होते हुए वन परिक्षेत्र बालको के चेकपोस्ट को पार कर लेमरू की ओर जाना होगा. यहां से आगे का सफर घने वर्षावन की तरह हैं. घुमावदार सड़क और दोनों ओर घने पेड़ों के बीच से गुजरना बेहद खास एहसास कराता है. गहरी घाटियों से होते हुए लोग काफी प्वाइंट तक पहुंचते हैं, जोकि काफी ऊंचाई पर है, यहां से नीचे की ओर देखने पर घने जंगल और पहाड़ पर बादलों के मंडराने वाले नजारे लोगों को खासा तौर पर आकर्षित करते हैं. कॉफी प्वाइंट की ऊंचाई से नीचे की ओर देखना बेहद खास अनुभव कराता है. ऊंचाई से नीचे की ओर देखने पर एक पल के लिए आपको यकीन नहीं होगा कि आप कोरबा जैसे जिले के किसी स्थान पर हैं.
रशियन यहां पीते थे कॉफी, तभी से नाम पड़ा कॉफी प्वाइंट: पहाड़ की चोटी पर बने इस जगह को कॉफी प्वाइंट क्यों कहा जाता है. इस विषय में कुछ प्रचलित कहानियां हैं, जो काफी हद तक यथार्थ के करीब लगती हैं. 70 के दशक में जब फुटका पहाड़ से एल्युमिनियम उत्पादन के लिए बॉक्साइट का उत्पादन शुरू हुआ था. तब यहां कुछ विदेशी जाकर यहां कॉफी पीते थे. जिसके बाद ही इस स्थान का नाम काफी प्वाइंट पड़ा. यही वह समय था जब देश की प्रमुख एल्युमिनियम उत्पादक कंपनी बालको की स्थापना कोरबा में हुई. एल्युमिनियम उत्पादन के लिए इसका प्रमुख घटक बॉक्साइट ही होता है. फुटका पहाड़ से दशकों तक बॉक्साइट का उत्पादन हुआ. जिसे रोप-वे के जरिए बालको भेजा जाता था. तब रशियन तकनीक की सहायता ली गई थी और कुछ रशियन लंबे समय तक जिले में ही रहते थे. जो एल्युमिनियम प्लांट की स्थापना में सहयोग दे रहे थे.
हिल स्टेशन ऊटी का मिलता है यहां आनंद: कॉफी प्वाइंट में घूमने के लिए सैलानियों का भी तांता लगा रहता है. लगातार यहां भीड़ रहती है, पिछले कुछ सालों में काफी प्वाइंट का विकास किया गया है. अब यहां आकर कुछ समय तक ठहरने खाने पीने की व्यवस्था कर दी गई है, पिछले कुछ दिनों में कॉफी प्वाइंट को ठीक तरह से मेंटेन किया गया है. जिसकी वजह से यहां आने वाले सैलानियों की संख्या बढ़ी है. कॉफी प्वाइंट पहुंची सरिता ने बताया कि मैं कॉफी प्वाइंट पहली बार आई हूं और काफी सुंदर नजारा यहां का है. ऊपर से नीचे की ओर देखना काफी सुकून वाला अहसास कराता है.
ऐसा लगता है जैसे बादल पहाड़ों को छू रहे”: कॉफी प्वाइंट घूमने आई प्रतिभा तिवारी कहती हैं कि मानसून के वक्त यहां का मौसम और सुहाना हो गया है. बारिश की वजह से वादियां बिल्कुल हरी भरी हो गई हैं. पर्यटक अंजना सिंह कहती हैं कि मैं अभी हाल में ऊटी से घूमकर आई हूं. यहां का नजारा और मौसम ऊंटी से कोई कम नहीं है. ऐसा लगता है जैसे बादल पहाड़ों पर उतर रहे हों. अंजना कहती हैं कि कोरबा के इस टूरिस्ट डेस्टिनेशन का प्रचार प्रसार होना चाहिए. लोगों को पता चलना चाहिए कि उनके शहर में ये एक खास जगह है जहां आकर आप स्ट्रेस फ्री हो सकते हैं.