नई दिल्ली : भारतीय महिलाओं में समय के साथ कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम बढ़ता हुआ देखा गया है, एनीमिया का खतरा उनमें से एक है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चिंता जताते हुए कहा कि भारत की आधी से अधिक महिलाएं एनीमिया की शिकार हैं। साल 2015-2016 में भारतीय महिलाओं में एनीमिया का प्रसार 54% था जो 2019-2020 में बढ़कर 59% हो गया। चिंताजनक बात ये है कि ज्यादातर महिलाओं को इस बात का पता भी नहीं है कि वो एनीमिया की शिकार हैं।
एनीमिया, शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या या हीमोग्लोबिन कम होने की स्थिति को कहा जाता है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में 15-49 वर्ष की आयु की 57% महिलाओं और छह महीने से 59 महीने के बीच के 67% बच्चों में इस गंभीर स्वास्थ्य समस्या का खतरा देखा जा रहा है। इसके लक्षणों का समय रहते पहचान और उपचार जरूरी है वरना एनीमिया गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का भी कारण बन सकती है।
एनीमिया और इसके कारण होने वाली समस्या
हीमोग्लोबिन, लाल रक्त कोशिकाओं में मौजूद एक आवश्यक प्रोटीन है जो शरीर के अन्य हिस्सों में ऑक्सीजन ले जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं जिन लोगों को एनीमिया होता है उनका रक्त शरीर में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंचा पाता है। ऑक्सीजन की कमी होने का स्थिति में अल्पकालिक और दीर्घकालिक तौर पर कई प्रकार की दिक्कतों का जोखिम बढ़ जाता है।
इस स्थिति में सिरदर्द, सांस लेने में कठिनाई, हृदय गति तेज होने और त्वचा के नीला पड़ने का भी खतरा रहता है। वहीं लंबे समय तक बनी रहनी वाली एनीमिया की स्थिति कई तरह की स्वास्थ्य जटिलताओं और क्रोनिक रोगों के खतरे को भी बढ़ाने वाली हो सकती है।
15 साल से कम उम्र की लड़कियों को एनीमिया का खतरा
भारत ही नहीं वैश्विक स्तर पर भी महिलाओं में एनीमिया बड़ी समस्या रही है। विश्व स्तर पर, एनीमिया 1.62 बिलियन लोगों को प्रभावित करने वाली बीमारी है, जो जनसंख्या का 24.8 प्रतिशत है। अध्ययन की रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत में 15 साल से कम उम्र की 46 प्रतिशत से अधिक लड़कियों को एनीमिया की दिक्कत हो सकती है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, किशोरों में एनीमिया की समस्या विकासात्मक विकारों का भी कारण बन सकती है। ऐसे लोगों के लिए काम पर फोकस कर पाना कठिन हो जाता है। कम उम्र में शारीरिक समस्याओं के कारण दीर्घकालिक स्वास्थ्य जोखिम भी हो सकती है।
एनीमिक हाइपोक्सिया की दिक्कत
डॉक्टर्स कहते हैं, शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी के कारण एनीमिक हाइपोक्सिया होने का जोखिम बढ़ जाता है। रक्त में ऑक्सीजन के संचार की क्षमता कम होने कई तरह के दोष हो सकते हैं। एनीमिक हाइपोक्सिया की स्थिति में आपको चक्कर आने, बेहोशी, सिरदर्द, ब्लड प्रेशर बढ़े रहने, सुस्ती, सांस लेने में कठिनाई सहित कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं।
एनीमिया के खतरे से बचाव के लिए आहार की पौष्टिकता का ध्यान रखना आवश्यक हो जाता है।
एनीमिया से बचाव के लिए क्या किया जाना चाहिए?
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थ जिनमें लीन प्रोटीन, मछली-मुर्गी, फलियां, साबुत अनाज और गहरी हरे रंग की पत्तेदार सब्जियां शामिल हों उनका सेवन करना चाहिए। विटामिन-सी से भरपूर खाद्य पदार्थ शरीर को आयरन अवशोषित करने में मदद करते हैं इससे भी एनीमिया के जोखिमों से बचाव में मदद मिल सकती है। पौष्टिक आहार का सेवन करके आयरन की कमी और एनीमिया की समस्या से बचाव किया जा सकता है।