मध्यप्रदेश:– पंचांग के अनुसार सितंबर में मृत्यु पंचक की शुरुआत हो रही है. यह शनिवार, 6 सितंबर को सुबह 11 बजकर 21 मिनट से शुरू होगा और बुधवार, 10 सितंबर को शाम 4 बजकर 3 मिनट तक चलेगा. ज्योतिष शास्त्र में शनिवार से शुरू होने वाले पंचक को सबसे अशुभ माना जाता है, जिसे मृत्यु पंचक कहा जाता है. मान्यता है कि इस अवधि में किए गए कुछ कार्य नकारात्मक परिणाम ला सकते हैं.
मृत्यु पंचक क्यों कहलाता है अशुभ?
पंचक का अर्थ है पांच दिन. जब चंद्रमा धनिष्ठा नक्षत्र के अंतिम चरण से लेकर रेवती नक्षत्र तक विचरण करता है तो पंचक काल बनता है. लेकिन जब यह काल शनिवार से शुरू होता है, तो इसे मृत्यु पंचक कहा जाता है. धर्मग्रंथों में इसे अशुभ समय माना गया है, क्योंकि यह काल मृत्यु और संकट की छाया लाने वाला बताया गया है.
इस दौरान किन कार्यों से बचें?
मकान की छत डालना या कोई बड़ा निर्माण कार्य शुरू करना.
नया बिस्तर या लकड़ी का सामान बनवाना.
घर में तेल या अनाज का भंडारण करना.
अंतिम संस्कार से जुड़ी गतिविधियों में भी सावधानी बरतनी चाहिए.
किन कार्यों को करना है शुभ
हालांकि मृत्यु पंचक पूरी तरह नकारात्मक नहीं है. धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि इस समय भगवान शिव, हनुमान और यमराज की पूजा करने से अशुभ प्रभाव कम हो सकता है.
शनिवार के दिन शनि देव की उपासना और पीपल पर दीपदान करना.
भगवान शिव पर जल और बेलपत्र चढ़ाना.
गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन दान करना.
सावधानी ही है समाधान
ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि मृत्यु पंचक के दौरान धैर्य और सावधानी बनाए रखना सबसे जरूरी है. अशुभ कार्यों से परहेज कर और पूजन-अर्चन के माध्यम से सकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित कर इस काल को सरल बनाया जा सकता है.