मुंबई: पिछले महीने सेवानिवृत्त हुईं भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की पूर्व अध्यक्ष माधबी पुरी बुच एक बार फिर विवादों में घिर गई हैं. इस बार मुंबई की एक विशेष एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) अदालत ने एसीबी को बुच, सेबी के तीन अधिकारियों, बीएसई (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) के पूर्व अध्यक्ष प्रमोद अग्रवाल और बीएसई के मौजूदा प्रबंध निदेशक और सीईओ सुंदरमन राममूर्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है.बॉम्बे हाईकोर्ट ने पूर्व सेबी प्रमुख माधबी बुच को कथित बाजार धोखाधड़ी मामले में राहत दी.माधबी पुरी बुच पर क्या आरोप लगे?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बुच और अन्य के खिलाफ शिकायत मुंबई के सपन श्रीवास्तव ने दर्ज कराई थी, जिन्हें अदालत के आदेश में एक मीडिया रिपोर्टर (कानूनी) के रूप में पहचाना गया था. जिन्होंने कैल्स रिफाइनरीज नामक कंपनी की लिस्टिंग के संबंध में बाजार नियामक और उसके प्रमुख और अन्य अधिकारियों के खिलाफ जांच की मांग की थी. शिकायतकर्ता ने प्रस्तावित आरोपियों ने बड़े पैमाने पर वित्तीय धोखाधड़ी, विनियामक उल्लंघन और भ्रष्टाचार से जुड़े कथित अपराधों की एफआईआर और जांच की मांग की.
अदालत ने क्या कहा?अदालत के आदेश में कहा गया कि आरोप नियामक प्राधिकरणों, विशेष रूप से भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की सक्रिय मिलीभगत से स्टॉक एक्सचेंज में एक कंपनी की धोखाधड़ी से लिस्टिंग से संबंधित हैं. बिना सेबी अधिनियम, 1992 और उसके तहत नियमों और विनियमों के अनुपालन के. शिकायतकर्ता का तर्क है कि सेबी के अधिकारी अपने वैधानिक कर्तव्य में विफल रहे, बाजार में हेरफेर की सुविधा दी और निर्धारित मानदंडों को पूरा नहीं करने वाली कंपनी की लिस्टिंग की अनुमति देकर कॉर्पोरेट धोखाधड़ी को सक्षम किया.इसने कहा कि आईपीओ प्रक्रिया में प्रक्रियागत खामियों और गैर-अनुपालनों का खुलासा करने वाले दस्तावेज, शेयर की कीमतों में एआई और बाजार में हेरफेर का संकेत देने वाली नियामक फाइलिंग और शेयर बाजार की रिपोर्ट, सेबी के भीतर व्हिसलब्लोअर्स के पत्राचार से आरोपी कंपनी के प्रति अनुचित पक्षपात का संकेत और अन्य वित्तीय रिपोर्ट और ऑडिट दस्तावेज आदि प्रस्तुत करने के बावजूद अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई.
अदालत ने कहा कि वह जांच की निगरानी करेगी और 30 दिनों के भीतर स्थिति रिपोर्ट भी मांगी है.मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बुच ने पांच अन्य लोगों के साथ मिलकर 3 मार्च को बॉम्बे हाईकोर्ट में विशेष अदालत के आदेश को रद्द करने की मांग की थी.अपने बयानों में सेबी और बीएसई ने कहा कि शिकायत 1994 में एक कंपनी की लिस्टिंग से संबंधित है, और नामित अधिकारी उस समय उस पद पर नहीं थे. अदालत ने बिना कोई नोटिस जारी किए या उन्हें तथ्यों को रिकॉर्ड पर रखने का कोई अवसर दिए बिना आवेदन को स्वीकार कर लिया था. इस बीच बीएसई ने कहा कि आवेदन तुच्छ और परेशान करने वाला है.
सेबी की पहली महिला प्रमुख और निजी क्षेत्र से आने वाली इसकी पहली प्रमुख बुच ने 28 फरवरी को अध्यक्ष के रूप में अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जब सरकार ने पूर्व वित्त और राजस्व सचिव तुहिन कांता पांडे को तीन साल के कार्यकाल के लिए नया अध्यक्ष नियुक्त किया. बुच का सेबी के साथ कार्यकाल उतार-चढ़ाव भरा रहा, खास तौर पर उनके कार्यकाल के आखिरी चरण में.सबसे पहले अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने पिछले साल 10 अगस्त को कई आरोप लगाए, जिसमें बुच और उनके पति तथा यूनिलीवर के पूर्व कार्यकारी धवल बुच पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने अडाणी समूह से कथित तौर पर जुड़े ऑफशोर फंड में निवेश किया है, जिसकी सेबी कथित स्टॉक मूल्य हेरफेर के लिए जांच कर रही थी.
आरोपों में यह भी शामिल है कि बुच ने सेबी में नीतिगत निर्णयों को प्रभावित किया, जो रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (आरईआईटी) का समर्थन करते थे, उस समय जब धवल ब्लैकस्टोन के सलाहकार बन गए थे, जो भारत में आरईआईटी के सबसे बड़े निवेशकों और प्रायोजकों में से एक है.एक और आरोप यह था कि अप्रैल 2017 से मार्च 2022 तक, जब बुच सेबी की पूर्णकालिक सदस्य और बाद में इसकी अध्यक्ष थीं. उन्होंने सेबी की आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए सिंगापुर की कंसल्टेंसी फर्म अगोरा पार्टनर्स में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी रखी.जबकि बुच ने आरोपों से इनकार किया.इसके अलावा सेबी के कर्मचारियों ने 5 सितंबर, 2024 को मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में इसके मुख्यालय पर प्रदर्शन किया, जिसमें संगठन में “विषाक्त” कार्य संस्कृति और आंतरिक बैठकों में अक्सर दुर्व्यवहार की शिकायत की गई.इस बीच जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज के संस्थापक सुभाष चंद्रा ने बुच के खिलाफ पक्षपात, भ्रष्टाचार और अनैतिक व्यवहार का आरोप लगाया.