बेंगलुरु : कर्नाटक सरकार ने सार्वजनिक ठेकेदारी में मुसलमानों को चार प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया है. मंत्रिमंडल द्वारा कर्नाटक सार्वजनिक खरीद पारदर्शिता (KTTP) अधिनियम में संशोधन को मंजूरी मिलने के बाद, मुस्लिम ठेकेदारों को सरकारी निविदाओं में विशेष अवसर मिलने का रास्ता साफ हो गया है. इस फैसले को सामाजिक न्याय की दिशा में अहम माना जा रहा है, लेकिन इसके राजनीतिक और कानूनी पहलुओं पर बहस तेज होने के कयास लगाये जा रहे हैं.
केटीपीपी संशोधन को मंजूरीः कर्नाटक मंत्रिमंडल ने कर्नाटक सार्वजनिक खरीद पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दे दी है. शुक्रवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अध्यक्षता में विधानसभा के कैबिनेट हॉल में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया. केटीपीपी अधिनियम को चालू विधानसभा सत्र में पेश करने के बाद संशोधन किया जाएगा. सूत्रों के अनुसार मंत्रिमंडल ने सोमवार को इसी सत्र में आज्ञापत्र प्रस्तुत करने को मंजूरी दे दी है.1 करोड़ रुपये तक के लिए आरक्षणः इससे पहले 7 मार्च को कर्नाटक सरकार का बजट पेश करते हुए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने पुष्टि की थी कि सार्वजनिक निर्माण कार्यों के चार प्रतिशत ठेके अब श्रेणी-II बी के तहत मुसलमानों के लिए आरक्षित किये जायेंगे.
विभिन्न सरकारी विभागों, निगमों और संस्थाओं के अंतर्गत वस्तुओं और सेवाओं की खरीद में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, श्रेणी-I, श्रेणी-II ए और श्रेणी-II बी के आपूर्तिकर्ताओं के लिए 1 करोड़ रुपये तक का आरक्षण प्रदान किया जाएगा. जिसमें श्रेणी-II बी का तात्पर्य मुसलमानों से है.ई-खाता देने पर सहमतिः कैबिनेट ने ग्रामीण क्षेत्रों में ई-खाता देने पर सहमति जताई है. जिसे ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज मंत्रालय द्वारा अनुमोदित किया गया है. अगर यह स्वीकृति मिल जाती है तो ग्रामीण राजस्व परियोजनाएं और गांव के घरों को ई-खाता सुविधा से लैस किया जा सकेगा. कर्नाटक लोकसेवा आयोग के सुधार उपायों पर कैबिनेट की बैठक में चर्चा की गई है क्योंकि केपीएससी में वृद्धि हुई है. इसके अलावा, कैबिनेट ने लोकसेवा आयोग के सुधार के लिए एक अलग समिति के गठन पर सहमति व्यक्त की है.