पुराने जमाने में वैद्य और हकीम किसी बीमारी का पता लगाने के लिए सबसे पहले हाथ के नाखूनों की जांच करते थे. उनका मानना था कि नाखूनों के रंग से कई तरह की बीमारियों का पता चलता है. आज के समय में भी आयुर्वेद और होम्योपैथी विशेषज्ञ बीमारी का पता लगाने के लिए नाखूनों के रंग की जांच करते हैं.आपको बता दें कि सिर्फ आयुर्वेद और होम्योपैथी विशेषज्ञ ही नहीं मानते कि नाखूनों के रंग से कई बीमारियों का पता लगाया जा सकता है. बल्कि विज्ञान भी इस बात पर विश्वास करता है. नाखूनों के बदलते आकार और हमारे स्वास्थ्य के बीच के संबंध पर किए गए विभिन्न शोधों में यह साबित हो चुका है कि नाखूनों के रंग और आकार से शरीर में पनप रही बीमारियों और विभिन्न कमजोरियों और स्थितियों का पता लगाया जा सकता है.
बता दें, मानव शरीर में नाखून और बाल, कैरोटीन नामक पोषक तत्व से बने होते हैं. ऐसे में शरीर में पोषक तत्वों की कमी या कोई बीमारी होने पर कैरोटीन की सतह प्रभावित होने लगती है और ज्यादातर मामलों में नाखूनों का रंग बदलने लगता है.आमतौर पर नाखूनों का खराब होता स्वरूप यानी नाखूनों में दरारें आना, नाखून टूटना, शरीर में विटामिन सी, फॉलिक एसिड व प्रोटीन की कमी के कारण होता है. जानकार और डॉक्टर बताते हैं की जरूरी नहीं कि नाखून का बदलता रंग सभी व्यक्तियों में बीमारी का संकेत हो. महिलाओं में कई बार खराब नेल पॉलिश लगाने से भी नाखूनों की सतह पर असर पड़ता है. लेकिन ज्यादातर मामलों में नाखूनों का रंग, उन पर पड़ी धारियां, नाखूनों का मोटा-पतला होना आदि बातें शारीरिक समस्याओं का लक्षण हो सकती है.
नाखूनों का रंग और स्ट्रक्चर बदलने से किन समस्याओं का संकेत मिलता है, इसकी जानकारी इस प्रकार है…मोटे, रूखे और कमजोर टूटे हुए नाखूननाखूनों के मोटाई तथा उनका उभरापन सिरोसिस और फंगल इन्फेक्शन के लक्षण हो सकते हैं. वहीं शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी होने पर भी कई बार नाखून बेरंग और रूखे हो जाते हैं. इसके अलावा हृदय रोग की स्थिति में नाखून मुड़ जाते हैं. नाखूनों में सफेद रंग की धारियां और रेखाएं किडनी के रोगों का संकेत देती हैं. डायबिटीज पीड़ितों का पूरा नाखून सफेद या पीले रंग या एक दो गुलाबी रेखाओं के साथ नजर आता है. दिल के रोगियों के नाखूनों में लाल धारियां देखने को मिलती हैं.
इसके अलावा नाखूनों के बदलते स्वरूप के कई कारण हो सकते है…कमजोर या भुरभुरे से नाखूनरूखे, कमजोर और भुरभुरे से नाखून, जो जल्दी टूट जाते हो, उनका सीधा संबंध थायराइड या फंगल इंफेक्शन से होता है.मोटे नाखूनआमतौर पर नाखूनों की यह स्थिति फंगल संक्रमण के कारण होती है. लेकिन गठिया, डायबिटीज, फेफड़ों में इंफ्केशन, एक्जिमा और सिरोसिस में भी नाखूनों में ये लक्षण देखे जाते हैं.चम्मच आकार ((कोइलोनीचिया)चम्मच की आकृति लिए घुमावदार नाखून हाइपोक्रोमिक एनीमिया की ओर इशारा करने वाली कॉइलोनाइचिया बीमारी के कारण भी हो सकते हैं. इस तरह के नाखून लीवर की समस्याओं को भी दर्शाते हैं
सफेद निशान या खरोंच जैसे निशान वाले नाखूनअगर आपके नाखूनों पर ऐसे धब्बे दिखें, तो यह एक आनुवंशिक समस्या हो सकती है। हालाँकि, सोरायसिस या एक्जिमा भी इस लक्षण के अंतर्गत आते हैं.झुर्रीदार नाखूनशरीर में पोषण की कमी, नाखून में संक्रमण या चोट के कारण नाखून में यह समस्या हो सकती है. वहीं कीमोथैरेपी, डायबिटीज तथा अत्यधिक तापमान के कारण भी ऐसा होता है.सफेद लाइननाखूनों के किनारे पर अक्सर सफेद लाइन दिखाई देती है. यह खून में प्रोटीन की कमी का लक्षण हो सकता है. इतना ही नहीं लीवर डिजीज, पोषण की कमी या फिर स्ट्रेस के कारण भी हो सकता है.
नाखून का बदलता रंग और गुणवत्तानाखूनों का रंग फीका पड़ना या फिर बेरंग होना, किसी प्रकार के इंफेक्शन, पोषण की कमी या शरीर के इंटरनल ऑर्गन्स की समस्याओं की ओर इशारा करते हैं.नाखूनों का रंग सफेद, भूरा या गहरा होनानाखूनों का रंग भूरा या गहरा होना थायराइड या कुपोषण के कारण हो सकते हैं. वहीं नाखूनों का सफेद होना आयरन की कमी का संकेत हैं. अगर नाखूनों पर गहरे रंग की पट्टियां नजर आए, तो यह सामान्यत: नुकसान रहित होती हैं, लेकिन कुछ मामलों में यह स्किन कैंसर की निशानी भी हो सकती है. ऐसा होने पर डॉक्टर को जरूर दिखाएं.नाखून का पीला होनाहाथों की ऊंगलियों के नाखून का रंग पीला पड़ना फंगल इंफेक्शन या सायरोसिस के कारण भी हो सकते हैं.
नीले या स्लेटी नाखूननीलापन या स्लेटी रंग लिए हुए नाखूनों का मतलब है कि शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है और उसे ऑक्सीजन की आवश्यकता है.नाखूनों का काला होनास्किन डिजीज लाइकन प्लेनस, जिसमें पूरे शरीर में जगह-जगह पस पड़ जाती है, होने पर नाखून काले हो जाते हैं.नाखून में होने वाला इंफेक्शननाखूनों के रंग बदलने की वजह फंगल इन्फेक्शन भी हो सकता है. शुरुआत में नाखून सफेद या पीले रंग के दिखाई देते हैं, पर संक्रमण बढ़ने पर बदरंग होने के साथ-साथ पतले और खुरदरे होने लगते हैं. हम सभी का शरीर कई प्रकार के माइक्रोआर्गेनिज्म और वायरस के संपर्क में आता है. स्किन पर हुए इंफेक्शन को अगर नाखून से खुजाया जाए, तो भी नाखून संक्रमित हो जाते हैं. जो लोग ज्यादा स्विमिंग करते हैं या ज्यादा देर तक पानी में रहते हैं या फिर जिनके पैर अधिकतर जूतों में बंद रहते हैं, उनमें संक्रमण का खतरा अधिक होता है.
अगर नाखूनों के आसपास खुजली, सूजन और दर्द हो, तो ऐसे में चिकित्सक को दिखाना बेहतर रहेगा.यूं बनाए रखें नाखूनों की सेहतपूरे शरीर के पोषण का ध्यान रखें. पौष्टिक आहार की मदद से ना सिर्फ नाखून स्वस्थ रहते हैं, बल्कि उनमें दरार या कट भी नहीं पड़ते हैं. बता दें, विटामिन बी का सेवन नाखूनों की सुंदरता बढ़ाता है.नाखूनों की बाहरी स्किन का खास ध्यान रखें.नाखून और पोर्स के आसपास की त्वचा को नियमित रूप से मॉइस्चराइजर की नमी दें.विटामिन सी का सेवन नाखूनों के आसपास की त्वचा को कटने-फटने से रोकता है.नाखूनों पर कम से कम केमिकल वाले प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें.