नई दिल्ली : हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में सावन महीने के दौरान एक ऐसा भंडारा भी लगता है जिसमें दिन भर सिर्फ और सिर्फ देसी घी से बने पराठे ही खिलाएं जाते हैं।
भंडारा सुनते ही मुंह में पानी आने लगता है। आपने ज्यादातर भंडारों में दाल-चावल, सब्जी-रोटी या फिर हलवा-खीर-पूरी आदि खाए होंगे, लेकिन मंडी जिले में सावन महीने के दौरान एक ऐसा भंडारा भी लगता है जिसमें दिन भर सिर्फ और सिर्फ देसी घी से बने पराठे ही खिलाए जाते हैं। यह भंडारा सजता है चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाईवे पर नागचला स्थित हनुमान मंदिर के पास। आप यहां चाहे सुबह जाएं, दोपहर को या फिर शाम को, यहां आपको देसी घी में बने तरह-तरह के पराठे ही खाने को मिलेंगे।
2016 में बाबा शंभू भारती ने शुरू की थी पराठे के भंडारे की प्रथा
बीते 9 वर्षों से पराठों के इस भंडारे का आयोजन बाबा शंभू भारती के अनुयायी आपसी और जनसहयोग से हर वर्ष सावन माह में करते आ रहे हैं। आयोजक रमेश भारती ने बताया कि पराठे के भंडारे की प्रथा को वर्ष 2016 में स्वयं बाबा शंभू भारती ने शुरू किया था। उनके स्वर्गवास के बाद अब उनके अनुयायी सभी के सहयोग से हर वर्ष इसे आयोजित कर रहे हैं। रोजाना डेढ़ से दो क्विंटल आटे और 25 से 30 किलो देसी घी के इस्तेमाल से 3 से 5 हजार पराठे बनाकर हर आने-जाने वाले को खिलाए जाते हैं। इस कार्य को करने के लिए बहुत से सेवादार पंजाब से आकर स्वेच्छा से यहां अपना योगदान देते हैं।
‘लोगों के लिए मददगार साबित होता है ये भंडारा’
स्थानीय निवासी चेतन गुप्ता ने बताया कि कुल्लू-मनाली की तरफ जब रास्ता बंद हो जाता है तो अधिकतर वाहनों को नागचला के पास ही रोक दिया जाता है। ऐसी स्थिति में यह भंडारा उन सभी लोगों के लिए मददगार साबित होता है जो रास्ते में फंसे होते हैं और भोजन की तलाश करते हैं। स्थानीय लोग भी बड़ी संख्या में इस भंडारे में आकर पराठे का प्रसाद ग्रहण करते हैं। बता दें कि यह भंडारा सावन माह के दौरान पूरा 40 दिन चलता रहता है। यहां आने वाले हर व्यक्ति को भरपेठ पराठे खिलाए जाते हैं।