बेंगलुरु: कर्नाटक सरकार ने एक महत्वपूर्ण और सराहनीय कदम उठाते हुए, संपत्ति हस्तांतरित करवाने के बाद अपने माता-पिता को सरकारी अस्पतालों में बेसहारा छोड़ने वाले बच्चों के खिलाफ स्वतः संज्ञान (Suo Moto) से मामला दर्ज करने का आदेश दिया है. चिकित्सा शिक्षा निदेशालय ने इस बारे में एक सर्कुलर जारी किया है, जिसमें ऐसे अमानवीय कृत्यों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बात कही गई है.हाल के दिनों में यह देखा गया है कि कई बुजुर्ग माता-पिता को उनके बच्चों द्वारा सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में बेसहारा छोड़ दिया जा रहा है, खासकर संपत्ति के अधिकार उन्हें हस्तांतरित करने के बाद. यह प्रवृत्ति न केवल चौंकाने वाली है बल्कि सामाजिक मूल्यों के भी खिलाफ है
.माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 का सहाराइस गंभीर मुद्दे से निपटने के लिए, सरकार ने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 की धारा 23 को लागू करने का निर्णय लिया है. इस धारा के अनुसार, यदि बच्चे संपत्ति विरासत में लेने के बाद अपने माता-पिता की उपेक्षा करते हैं या उन्हें छोड़ देते हैं, तो वसीयत या संपत्ति के हस्तांतरण को रद्द करने और बुजुर्ग माता-पिता के स्वामित्व को पुनः प्राप्त करने के लिए मामला दायर किया जा सकता है.
परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए जहां माता-पिता/वरिष्ठ नागरिक मुकदमा दायर करने में असमर्थ हैं, सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत कोई भी स्वैच्छिक समाज/संगठन उनकी ओर से मामला दर्ज करने के लिए कार्रवाई कर सकता है.सरकार का सख्त रुखसर्कुलर में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि निदेशालय और संस्थानों के निदेशकों को इस संबंध में दर्ज मामलों की संख्या की जानकारी तुरंत प्रस्तुत की जाए ताकि ऐसे मामलों में नियमों के अनुसार स्वतः संज्ञान लेकर मामला दर्ज करने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जा सके. यह निर्देश राज्य के सभी स्वायत्तशासी सरकारी मेडिकल कॉलेजों और सभी सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों को जारी किया गया है.
हाल ही में एक समीक्षा बैठक के दौरान, BIMS के निदेशक ने इस गंभीर मुद्दे को चिकित्सा शिक्षा और कौशल विकास मंत्री शरण प्रकाश पाटिल के समक्ष उठाया. मंत्री ने तत्काल संज्ञान लेते हुए चिकित्सा शिक्षा निदेशक (DME) डॉ बीएल सुजाता राठौड़ को सभी संस्थान प्रमुखों को सचेत करने और जिम्मेदार बच्चों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सहायक आयुक्त (राजस्व उप-विभाग) के पास शिकायत दर्ज करने का निर्देश दिया. मंत्री ने परित्यक्त माता-पिता द्वारा अपने बच्चों के पक्ष में निष्पादित वसीयत और संपत्ति हस्तांतरण को रद्द करने का भी आह्वान किया.