नई दिल्ली : खगोल विज्ञान में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के लिए चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण एक खास घटना है। साल 2024 में पहला चंद्र ग्रहण 25 मार्च को लगा था। अब दूसरा 18 सितंबर को नजर आएगा। यह एक आंशिक चंद्र ग्रहण होगा, जो दुनिया के कई इलाकों में दिखाई देगा। वैज्ञानिकों के मुताबिक, जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में आते हैं, तो चंद्र ग्रहण लगता है, क्योंकि पृथ्वी की वजह से सूर्य का प्रकाश चंद्रमा पर नहीं पड़ता है। इस घटना को चंद्र ग्रहण कहा जाता है।
दरअसल, चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है। पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है और चंद्रमा एक उपग्रह है, जो धरती का चक्कर लगाता है। जब सूर्य और चंद्रमा के बीच धरती आ जाती है, तो सूर्य की रोशनी चंद्रमा तक नहीं पहुंचती है। इससे धरती की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। इस खगोलीय घटना को चंद्र ग्रहण कहा जाता है। जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में आ जाते हैं, तो चंद्र ग्रहण लगता है। पूर्णिमा के दिन यह खगोलीय घटना होती है। हिन्दू पंचांग के मुताबिक, प्रत्येक महीने के शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि को पूर्णिमा पड़ती है।
किस समय लगेगा ग्रहण
साल 2024 का दूसरा चंद्र ग्रहण 18 सितंबर को भारतीय समय के मुताबिक, सुबह 6 बजकर 11 मिनट पर लगेगा, जो सुबह 10 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगा। यह ग्रहण कुल 4 घंटे 6 मिनट तक रहेगा। कई विदेशी अंतरिक्ष एजेंसियां और दूसरे खगोलीय घटनाओं पर नजर रखने वाली वेबसाइट इस खगलोयी घटना सीधा प्रसारण करेंगी।
भारत में नजर आएगा चंद्र ग्रहण?
साल दूसरा चंद्र ग्रहण यूरोप, एशिया के ज्यादातर हिस्सों, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, प्रशांत, अटलांटिक, हिंद महासागर, आर्कटिक, अंटार्कटिका के सीमित क्षेत्रों में दिखाई देगा। यह ग्रहण भारत में नजर नहीं आएगा, लेकिन मुंबई समेत कुछ पश्चिमी शहरों में नजर आ सकता है। हालांकि, इसकी बेहद कम संभावना है। इसके बाद चंद्रमा क्षितिज के नीचे चला जाएगा, जिसकी वजह से यह भारत में नजर आना बंद हो जाएगा।
कितने प्रकार के होते हैं ग्रहण?
चंद्र ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं। यह इस बात निर्भर होता है कि सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में किस तरह हैं। आंशिक चंद्र ग्रहण, पूर्ण चंद्र ग्रहण और उपछाया चंद्र ग्रहण होता है। पूर्ण चंद्र ग्रहण उस समय लगता है, जब पूरे चंद्रमा की सतह पर धरती की छाया पड़ती है।
आंशिक चंद्र ग्रहण के दौरान चांद का सिर्फ एक भाग पृथ्वी की छाया में प्रवेश करता है। चंद्रमा के धरती की तरफ वाले हिस्से पर धरती की छाया काली दिखाई देती है। कटा हिस्सा दिखाई देता है, तो वह इस पर निर्भर करता है कि किस प्रकार सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में हैं।
उपछाया चंद्र ग्रहण के दौरान धरती की छाया का हल्का बाहरी भाग चंद्रमा की सतह पर पड़ता है। इस ग्रहण को देखना कुछ मुश्किल होता है।