नई दिल्ली : देशभर में इस समय मानसून सक्रिय है। महाराष्ट्र-गुजरात सहित कई राज्यों में बारिश और बाढ़ की स्थिति के चलते जनजीवन अस्त-व्यस्त है। राजधानी दिल्ली-एनसीआर में भी बुधवार को भारी बारिश हुई, जिसके चलते कई स्थानों पर जलजमाव की स्थिति देखी गई। सेहत के नजरिए से जलजमाव की स्थिति को काफी चुनौतीपूर्ण माना जाता है, इससे कई प्रकार की बीमारियों का जोखिम भी बढ़ सकता है।
मानसून के दिनों में मच्छर जनित बीमारियों का तो खतरा रहता ही है साथ ही बाढ़ और जलजलाव वाले स्थानों पर भोजन-जल की अशुद्धता से संबंधित समस्याओं का भी जोखिम हो सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, बाढ़ वाले स्थानों पर हैजा, टाइफाइड और हेपेटाइटिस-ए जैसी विभिन्न जलजनित बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ जाता है। हर साल इससे संबंधित बड़ी संख्या में मरीजों को अस्पतालों में भर्ती होने की जरूरत पड़ती है।
कुछ बीमारियां तो ऐसी हैं जिनका अगर समय पर इलाज न हो पाए तो इससे गंभीर जटिलताओं और जानलेवा समस्याओं तक का खतरा भी रहता है।
बारिश और बाढ़ के कारण कई बीमारियों का खतरा
अमर उजाला से बातचीत में दिल्ली स्थित कंसल्टेंट फिजिशियन डॉ रमन सिंह बताते हैं, बारिश के दिनों में कई प्रकार की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। मुंबई-गुजरात के कई शहरों में भारी बारिश के कारण बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। इसके साथ दिल्ली में भी पिछले दिनों हुई बारिश ने स्वास्थ्य जोखिमों को बढ़ा दिया है।
रुका हुआ पानी फफूंद, बैक्टीरिया के विकास को बढ़ावा दे सकता है और साफ-स्थिर पानी को कई प्रकार के मच्छरों के प्रजनन के लिए सबसे अनुकूल माना जाता है। ऐसे में आशंका है कि इन स्थानों पर डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मामलों में भी वृद्धि हो सकती है।
जलजमाव के कारण होने वाली बीमारियां
जलभराव से होने वाला जल प्रदूषण हैजा, टाइफाइड और हेपेटाइटिस-ए जैसी विभिन्न जलजनित बीमारियों का कारण हो सकता है। ये बीमारियां मल या हानिकारक सूक्ष्मजीवों वाले पानी और इसके संपर्क में आने वाले खाद्य पदार्थों के कारण होती हैं।
जलभराव की स्थिति में बैक्टीरिया, वायरस और परजीवियों के कारण पाचन संबंधी संक्रमण होने की आशंका भी बढ़ जाती है। इसके परिणामस्वरूप गैस्ट्रोएंटेराइटिस, डायरिया और पेचिश जैसी बीमारियां हो सकती हैं। कालरा जैसी बीमारियां खतरनाक और जानलेवा मानी जाती हैं।
मच्छरों का खतरा
जलभराव और बाढ़ के कारण जमा हुआ पानी मच्छरों और अन्य रोगवाहकों के लिए अनुकूल वातावरण बनाता है। स्थिर पानी वाले क्षेत्रों में मच्छरों द्वारा फैलने वाली बीमारियां, जैसे डेंगू बुखार, मलेरिया और जीका वायरस तेजी से बढ़ सकती हैं।
बाढ़ वाले स्थानों में लेप्टोस्पायरोसिस संक्रमण का खतरा भी देखा जाता है। इसके बैक्टीरिया कट या खरोंच के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकते हैं, जिससे संक्रमण की गंभीर स्थिति में लिवर, किडनी और फेफड़े जैसे महत्वपूर्ण अंग भी प्रभावित हो सकते हैं।
कैसे रहें इनसे सुरक्षित?
डॉक्टर बताते हैं, बाढ़ और जलभराव के कारण होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए सभी लोगों को सावधानी बरतना जरूरी है। इसके लिए जरूरी है कि साफ और स्वच्छ पानी पिएं। केवल बोतलबंद या उबला हुआ पानी पिएं। इसके अलावा उचित स्वच्छता का ध्यान रखना, हाथों को बार-बार धोने की आदत बनाना खासकर खाने से पहले और शौचालय का उपयोग करने के बाद हाथों को धोएं। सुनिश्चित करें कि खाना ठीक से पकाया गया हो ताकि उसमें मौजूद किसी भी बैक्टीरिया की आशंका न हो।
मच्छरों के काटने से बचने के लिए प्रयास करते रहना डेंगू-मलेरिया से बचाव के लिए महत्वपूर्ण है।