असम : असम सरकार ने इंडिजिनस असमिया मुसलमानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का पता लगाने के लिए घर-घर जाकर सर्वेक्षण करने का निर्णय लिया है।
राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व में शुक्रवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इस सर्वेक्षण को मंजूरी दी गई।
सरकार ने सर्वेक्षण कराने की ज़िम्मेदारी अल्पसंख्यक मामले और चर क्षेत्र निदेशालय को सौंपी गई है।
असम सरकार ने करीब डेढ़ साल पहले राज्य के पांच समुदायों को ‘स्वदेशी असमिया मुसलमान’ के रूप में मान्यता दी थी. ये गोरिया, मोरिया, देशी, जुल्हा और सैयद समुदाय हैं।
इन पांच स्वदेशी समुदायों की पहचान का फ़ैसला सरकार द्वारा गठित सात उप-समितियों की सिफ़ारिशों के आधार पर लिया गया था।
2011 की जनगणना के अनुसार, असम की कुल तीन करोड़ 12 लाख की आबादी में मुसलमानों का हिस्सा 34 फ़ीसदी से अधिक है।
इनमें लगभग 42 लाख स्वदेशी असमिया मुसलमान बताए जाते हैं. हालांकि इनके सही आंकड़े इन पांचों समुदाय के सर्वेक्षण के बाद ही सामने आ पाएंगे।
सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने असम के स्वदेशी अल्पसंख्यकों का सामाजिक आर्थिक मूल्यांकन कराने को लेकर कैबिनेट के फ़ैसले को सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर साझा किया है।
कुछ दिन पहले सीएम ने कहा था कि ये निष्कर्ष सरकार को राज्य के स्वदेशी अल्पसंख्यकों के व्यापक सामाजिक-राजनीतिक और शैक्षिक उत्थान के उद्देश्य से उपयुक्त उपाय करने के लिए मार्गदर्शन करेंगे।