बिहार : छठ पूजा हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार है, जिसकी रौनक न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया में देखने को मिलती है। यह चार दिनों तक चलने वाला महापर्व है, जिसमें छठी मैया और सूर्य देव की पूजा की जाती है।
छठ पूजा हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार है, जिसकी रौनक न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया में देखने को मिलती है। यह चार दिनों तक चलने वाला महापर्व है, जिसमें छठी मैया और सूर्य देव की पूजा की जाती है। धार्मिक ग्रंथों में सूर्य देव को जीवन का आधार माना जाता है। वह आरोग्य, ऊर्जा और समृद्धि के दाता है। पंचांग के अनुसार 05 नवंबर 2024 से छठ पर्व की शुरुआत हो चुकी है, जो 08 नवंबर तक चलेगा। इस दौरान महिलाएं संतान की तरक्की और अच्छी सेहत के लिए निर्जला व्रत रखती हैं, जिसका पारण सप्तमी तिथि पर किया जाता है।
7 नवंबर 2024 को छठ का तीसरा दिन है। ज्योतिष गणना के अनुसार छठ महापर्व का तीसरा दिन बेहद महत्वपूर्ण होता है। इस दिन महिलाएं सूर्यास्त के समय नदी या तालाब पर जाकर सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं। इस दौरान सूर्य को अर्घ्य विधिनुसार देना चाहिए। ऐसे में आइए इसकी विधि के बारे में जानते हैं।
संध्या अर्घ्य का समय
पंचांग के अनुसार 7 नवंबर 2024 को सूर्योदय प्रातः 06 बजकर 42 मिनट पर तथा सूर्यास्त सायं 05:48 बजे होगा। इस दिन भक्त कमर तक पानी में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इससे शुभ परिणामों की प्राप्ति होती हैं।
भगवान सूर्य को अर्घ्य देने की विधि
सूर्य को अर्घ्य देने के लिए सर्वप्रथम एक साफ लोटा लें। उसमें पवित्र जल भर लें। लोटे के जल में आप कच्चे दूध की बूंदे, अक्षत और लाल चंदन को डाल लें। साथ ही फूल की कुछ पत्तियां भी इसमें डाल दें। अब सूर्य देवता की ओर मुख कर लें। मन में सूर्य मंत्र का जाप करते हुए आप धीरे-धीरे जलधारा प्रवाहित कर अर्घ्य दें। इससे लंबी आयु और सुखी जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यही नहीं मन से सभी नकारात्मकता दूर होती हैं।
सूर्य गायत्री मंत्र
1.ऊँ आदित्याय विदमहे प्रभाकराय धीमहितन्न: सूर्य प्रचोदयात् ।
2.ऊँ सप्ततुरंगाय विद्महे सहस्त्रकिरणाय धीमहि तन्नो रवि: प्रचोदयात् ।
अर्थ मंत्र ‘ऊँ एहि सूर्य ! सहस्त्रांशो तेजोराशि जगत्पते ।
करूणाकर में देव गृहाणाध्र्य नमोस्तु ते ।
भगवान सूर्य के मंत्र
सूर्य स्तुति के साथ सूर्यदेव के इन मंत्रों का भी जाप अवश्य करें
ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य:
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।
ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ ।
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः ।
ॐ सूर्याय नम: ।
ॐ घृणि सूर्याय नम: ।