: होली सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं बल्कि अलग-अलग राज्यों की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक भी है. इसे देशभर में विभिन्न नामों से मनाया जाता है जो इसकी पारंपरिक विविधता को दर्शाता है.होली भारत ही नहीं नेपाल, पाकिस्तान, मौरिशियस जैसे कई देशों में धूमधाम से मनाई जाती है, लेकिन भारत में भी इसे अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है. ये भिन्नता वहां की सांस्कृतिक धरोहर और पौराणिक मान्यताओं से जुड़ी होती है. कहीं रंगों से खेला जाता है तो कहीं परंपरागत रूप से लाठियों से होली खेली जाती है. आइए जानते हैं कि किस राज्य में होली को किस नाम से जाना जाता है
.1/7हरियाणा में होली को धुलेंडी या दुलंडी कहा जाता है. इस दिन खासतौर पर भाभी अपने देवरों को रंगने और मजाक करने का अवसर नहीं छोड़तीं. पंजाब में होली को होला मोहल्ला के नाम से जाना जाता है जिसे सिखों के निहंग समुदाय बड़ी धूमधाम से मनाते हैं. यहां इस अवसर पर घुड़सवारी, युद्ध कला का प्रदर्शन और भव्य शोभायात्रा आयोजित की जाती है.हरियाणा में होली को धुलेंडी या दुलंडी कहा जाता है. इस दिन खासतौर पर भाभी अपने देवरों को रंगने और मजाक करने का अवसर नहीं छोड़तीं. पंजाब में होली को होला मोहल्ला के नाम से जाना जाता है जिसे सिखों के निहंग समुदाय बड़ी धूमधाम से मनाते हैं. यहां इस अवसर पर घुड़सवारी, युद्ध कला का प्रदर्शन और भव्य शोभायात्रा आयोजित की जाती है
.2/7बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में होली को फगुआ और फाग कहा जाता है. वहीं ब्रज और बरसाने में लट्ठमार होली खेली जाती है जिसमें महिलाएं पुरुषों पर लाठियां बरसाकर अनोखे अंदाज में होली मनाती हैं. वृंदावन, नंदगांव और मथुरा में इस दौरान विशेष उत्सव होते हैं जिसमें देश-विदेश से लोग शामिल होते हैं.बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में होली को फगुआ और फाग कहा जाता है. वहीं ब्रज और बरसाने में लट्ठमार होली खेली जाती है जिसमें महिलाएं पुरुषों पर लाठियां बरसाकर अनोखे अंदाज में होली मनाती हैं. वृंदावन, नंदगांव और मथुरा में इस दौरान विशेष उत्सव होते हैं जिसमें देश-विदेश से लोग शामिल होते हैं.
3/7मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में होली के पांच दिन बाद रंग पंचमी का खास महत्व होता है. यहां इस दिन को आदिवासी समुदाय विशेष रूप से मनाता है. राजस्थान में शाही अंदाज में होली खेलने की परंपरा है जहां हाथियों, घोड़ों और ऊंटों की सवारी के साथ विशेष आयोजनों का आयोजन किया जाता है.मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में होली के पांच दिन बाद रंग पंचमी का खास महत्व होता है. यहां इस दिन को आदिवासी समुदाय विशेष रूप से मनाता है. राजस्थान में शाही अंदाज में होली खेलने की परंपरा है जहां हाथियों, घोड़ों और ऊंटों की सवारी के साथ विशेष आयोजनों का आयोजन किया जाता है.
4/7महाराष्ट्र में होली को फागुन पूर्णिमा और रंग पंचमी के नाम से जाना जाता है. यहां गोविंदा होली का विशेष महत्व है जिसमें लोग दही-हांडी फोड़कर उत्सव मनाते हैं. वहीं गुजरात में होली का स्वरूप कुछ अलग होता है और इसे गोविंदा होली कहते हैं. गोवा में इसे शिमगो या शिमगा के नाम से जाना जाता है जहां पारंपरिक लोक नृत्य और संगीत के साथ होली मनाई जाती है.महाराष्ट्र में होली को फागुन पूर्णिमा और रंग पंचमी के नाम से जाना जाता है. यहां गोविंदा होली का विशेष महत्व है जिसमें लोग दही-हांडी फोड़कर उत्सव मनाते हैं. वहीं गुजरात में होली का स्वरूप कुछ अलग होता है और इसे गोविंदा होली कहते हैं. गोवा में इसे शिमगो या शिमगा के नाम से जाना जाता है जहां पारंपरिक लोक नृत्य और संगीत के साथ होली मनाई जाती है.
5/7मणिपुर में होली को योशांग या याओशांग कहते हैं. यहां ये त्योहार पांच दिनों तक चलता है और इसमें थबल चोंगबा नामक पारंपरिक नृत्य किया जाता है।. पश्चिम बंगाल और ओडिशा में इसे बसंत उत्सव और डोल पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है जिसमें राधा-कृष्ण की मूर्तियों को रंगों से सराबोर कर झूले पर बैठाया जाता है और भक्तगण उन्हें झुलाते हैं.मणिपुर में होली को योशांग या याओशांग कहते हैं. यहां ये त्योहार पांच दिनों तक चलता है और इसमें थबल चोंगबा नामक पारंपरिक नृत्य किया जाता है।. पश्चिम बंगाल और ओडिशा में इसे बसंत उत्सव और डोल पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है जिसमें राधा-कृष्ण की मूर्तियों को रंगों से सराबोर कर झूले पर बैठाया जाता है और भक्तगण उन्हें झुलाते हैं
.6/7उत्तराखंड में होली को विशेष रूप से बैठकी होली, खड़ी होली और महिला होली के रूप में मनाया जाता है. ये संगीत प्रधान होली होती है जिसमें भजन और शास्त्रीय संगीत के साथ त्योहार का आनंद लिया जाता है. हिमाचल प्रदेश में पारंपरिक लोकगीतों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ होली मनाई जाती है. असम में इसे फगवाह या देओल कहा जाता है.उत्तराखंड में होली को विशेष रूप से बैठकी होली, खड़ी होली और महिला होली के रूप में मनाया जाता है. ये संगीत प्रधान होली होती है जिसमें भजन और शास्त्रीय संगीत के साथ त्योहार का आनंद लिया जाता है. हिमाचल प्रदेश में पारंपरिक लोकगीतों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ होली मनाई जाती है. असम में इसे फगवाह या देओल कहा जाता है
.7/7भारत में होली के अलग-अलग नाम और परंपराएं भले ही विविध हों, लेकिन इसकी मूल भावना प्रेम, सौहार्द और उमंग से भरी होती है. हर राज्य में होली को वहां की संस्कृति और मान्यताओं के अनुरूप मनाया जाता है, लेकिन रंगों और खुशियों का जश्न हर जगह एक समान होता है. चाहे धुलेंडी हो, फगुआ हो या होला मोहल्ला, हर रंग में भारतीयता झलकती है.भारत में होली के अलग-अलग नाम और परंपराएं भले ही विविध हों, लेकिन इसकी मूल भावना प्रेम, सौहार्द और उमंग से भरी होती है. हर राज्य में होली को वहां की संस्कृति और मान्यताओं के अनुरूप मनाया जाता है, लेकिन रंगों और खुशियों का जश्न हर जगह एक समान होता है. चाहे धुलेंडी हो, फगुआ हो या होला मोहल्ला, हर रंग में भारतीयता झलकती है.






