: CBSE बोर्ड अब साल में दो बार बोर्ड एग्जाम कराएगा.अगले साल 2026 से सीबीएसई 10वीं की बोर्ड परीक्षाएं साल में दो बार आयोजित की जाएंगी. कहा जा रहा है कि बोर्ड के इस डिसीजन से स्टू़डेंट्स को फायदा होगा. इससे सेलेबस का लोड कम होगा और रिजल्ट भी इंप्रूव हो सकता है. इतना ही नहीं इससे छात्र पूरे साल एग्जाम की तैयारी में बिजी रहेंगे, जिससे उनका बेस मजबूत होगा. इससे फ्लाइंग कैंडिडेट्स यानी बिना क्लास अटेंड करने वाले छात्रों की संख्या भी कम होगी.
लेकिन कई एक्सपर्ट्स का कहना है कि साल में एक बार बोर्ड एग्जाम होने से बच्चों की मेंटल हेल्थ पर असर साफ देखा गया है. ऐसा दो बार बोर्ड एग्जाम कराएंगे तो इससे समस्याएं बढ़ भी सकती हैं. ऐसे में आइए एक्सपर्ट्स से जानते हैं कि साल में दो बार एग्जाम कराने से ब्चचों की मेंटल हेल्थ (Mental Health) क्या असर पड़ सकता है.साल में दो बार बोर्ड एग्जाम का बच्चों की मेंटल हेल्थ पर असर
एक्सपर्ट्स का कहना है कि साल में दो बार बोर्ड एग्जाम से स्टूडेंट्स पर पढ़ाई का प्रेशर बढ़ने की बजाय कम होगा लेकिन इसका खास रिजल्ट नहीं मिलने वाला है. दरअसल, सिलेबस का लोड और एग्जाम की तैयारी का सबसे ज्यादा असर छात्रों की मेंटल हेल्थ पर पड़ता है. दो बार परीक्षा होने से उन्हें बेहतर तरीके से तैयारी करने का मौका मिल सकेगा और उनके पास ऑप्शन होगा कि दूसरे फेज के एग्जाम में ज्यादा मेहनत कर रिजल्ट बेहतर दे सकें.क्या साल में दो बार बोर्ड एग्जाम से नुकसान हो सकता हैएक्सपर्ट्स का मानना है कि एग्जाम का तनाव और इससे जुड़ी चिंता को हल्के में नहीं लिया जा सकता है.
2022 NCERT ने पाया कि क्लास 9 से 12 तक पढ़ने वाले करीब 80 प्रतिशत बच्चे एग्जाम और रिजल्ट की वजह से टेंशन में थे. कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि साल में दो बार बोर्ड परीक्षा आयोजित करने से छात्रों पर एक्स्ट्रा दबाव बन सकता है. क्योंकि उन्हें कम समय में बोर्ड एग्जाम के दो सेट की तैयारी करनी होगी और उनमें अच्छा परफॉर्म करना होगा. इससे तनाव बढ़ सकता है, खासकर उन बच्चों में जो पहले से ही एग्जाम में चुनौती का सामना करते हैं.एक साल में दो बार बोर्ड एग्जाम के निगेटिव फैक्टर्स1. साल में दो बार बोर्ड परीक्षा होने से छात्रों में तनाव का लेवल बढ़ सकता है. परीक्षाओं की तैयारी के लिए काफी समय और ज्यादा प्रयास की जरूरत होती है, ऐसे में कई दिक्कतें बढ़ सकती हैं.2. भले ही छात्रों को दूसरा मौका मिलेगा लेकिन इनसे दोनों एग्जाम में बेहतर प्रदर्शन का दबाव भी बढ़ेगा, जो तनाव के लेवल को बढ़ा सकता है
.3. पूरे साल एग्जाम होने से बच्चे परीक्षा की तैयारी वाले मोड में ही रहेंगे, जो उनके तनाव को बढ़ाता रहेगा. इससे उनकी मेंटल हेल्थ ही नहीं ओवरऑल हेल्थ खराब हो सकती है.4. एग्जाम कराने के प्रेशर के चलते सेलेबल पूरा करना भी चुनौती हो सकता है.5. एग्जाम के बीच स्टूडेंट्स को ब्रेक मिलता है, ताकि वे तनाव से बचे और आराम करें. दो बार बोर्ड एग्जाम से उनका मेंटल और इमोशनल हेल्थ प्रभावित हो सकता है.